SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 182
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बयासीइमो संधि सविस-विसम-विसहर-लल्लक्केहिं हउ सिहंडि वारहेहिं पिसक्केहिं तिहिं जुहमण्णु थणंतरे ताडिउ उत्तमोज्जु छहिं कह-वि ण पाडिउ जाय णिरत्थ णिरुज्जम-चित्ता भग्ग-रहित्त णाई णाइत्ता सिणि-णंदणेण धरिय साओहण किव-किववम्म-कण्ण-दुजोहण ८ घत्ता वल-विक्कमवंत वड्डिय कोह-हुवासणहो। गउ तेत्तहे भीम जेत्तहे रहु दूसासणहो॥ [१०] दिमु विओयरेण दूसासणु णं णहणंघण-घणेहिं हुआसणु णं विणया-णंदणेण भुअंगमु +++++++++++++ णं छण-गहवइ गहकल्लोलें णं महि-वलउ जुयक्खय-कालें णं तंवेरमु सीह-किसोरें रहवर वाहि वाहि लइ ओरें जं विसु दिण्णु चिण्णु तं भंडणु जंजउहरु तं गोत्तहो खंडणु कवड दुरोयर जे संचारिय ते गंगेय-दोण वइसारिय दोवइ-केस सिलीमुह हुआ वसण-किलेस जाय जम-दूआ पंच गाम जे कक्खहं छुद्धा | पंच-वि लोयपाल जिवं कुद्धा घत्ता दूसासण थाहि हउं सो भीमु समावडिउ। कुलगिरि-सिहराहं उप्परि वज-दंडु पडिउ ।। __ [११] तो कुरु-णंदणेण वोल्लाविउ तुहुँ जे भीमु भणु काई ण पाविउ तुहं जे भीम विस-धाणिए घारिउ तुहं जे भीमु गंगहे पइसारिउ - तुहं जे भीमु णासेवि गउ जउहरे तुहुं जे भीमु णिम्मुहु दउरोयरे तुहुं जे भीमु पंचालि-पराहवे तुहुँ जे भीमु हउं मारमि आहवे हउं दूसासणु मूलु अणत्थहं कालु कयंत-मित्तु तउ पत्थहं दोमइ दासि संढ-तिल पंडव सीहहो भग्ग सोंड वेयंड व Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy