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रिट्ठणे मिचरित
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घत्ता भंजेवि अलमलई सव्वई वलई पुणु अज्जुणु भिडिउ तिगत्तहं । रयणिए जिणेवि गह अवहरेवि पह मयतंछणु जिह णक्खत्तहं ॥ ९
[१६] संसत्तग-सत्तु-वलई खणेवि सत्तारह सयई गयह हणेवि रह णउवि खुरुप्पें कप्परेवि अपमाण तुरंगम जज्जरेवि गउ अज्जुणु पासु सहोयरहो सो वइअरु कहिउ विओयरहो जिह धम्म-पुत्तु रवि-सुएण जिउ जिह छिण्णु महद्धउ वि-रहु किउ ४ जिह रणु णल्लियइ णराहिवइ वहु-मच्छरु पवण-पुत्तु चवइ एक्कक्के एक्केकहो जणहो पई कण्णहो मई दूसासणहो अभिडेवि करेवउ चूरणउं फेडेवउ णाह-विसूरणउं
घत्ता कड्डिउ जेण चिरु तहो खुडमि सिरु पंचालि-वाल वंधावमि। पेक्खंतहो जणहो महसूयणहो पहु पिहिवि सयं भुंजावमि॥ ७
इय रिट्ठणेमिचरिए धवलइयासिय-सयंभुएव-कए
इक्कासीइमो सग्गो॥
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