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________________ रिट्ठणे मिचरिउ करि पंडव-जायव-जणहो दिहि कउरवहं पवद्धउ सोय-विहि संतण-विचित्तवीरिय-वमहिं (?) तव-णंदणु भुंजउ णियय महि घत्ता एण जियंतेण दीसंतएण अ-सुहच्छी महु वड्डारी। हणु हणु आहयणे जं महु-वि मणे जं फिट्टइ चिंत तुहारी॥ [१२] दुढेण एण वहु णिट्ठविय जम-णयरु णराहिव पट्टविय वहु सोमय-सिंजय वहुय-जण वहु कासि-करुस-सयमच्छ-गण पंचाल-भद्द-चेइवइ-पहु सिवि-जायव-कइकय-पमुह वहु चूरियई स-धयहं स-चामरहं वीसद्धई वारह रहवरहं पई मइ-मि ण मारइ जाम रणे लहु ताम धणंजय वइरि हणे एत्तहे वि पत्थु पडिवक्खवइ दुजोहण-कण्णहुं दक्खवइ तुहुँ सयल कालु गज्जंतु तिह स-जणद्दणु अज्जुणु हणमि जिह दीसंति वि ओए ते वीर-वर । गंडीव-धारि-सारंग-धर घत्ता वाणर-गरुडद्धय कंचण-कवय वाहिय-रह पूरिय-जलयर । हणु हणु वे-वि जण णर-महुमहण महु देहि पिहिवि सयरायर ॥ ९ ४ तं णिसुणेवि अंगराउ चवइ भुव जाम जाम धणु जाम सर एक्कल्लउ हउं विण्णि-वि धरमि तो महु जे भडत्तणु णिव्वडइ तो भणइ सल्लु कहिं तणउ जउ किवं धरिउ धणंजउ एक्कु जणु एक्कु-वि वहिरइ गंडीव-धणु एक्कु-वि रणे संख-सद्दु अहिउ कहो संकहि कुरुव णराहिवइ पावंति ताम कउ कण्ह णर जिम्व मारमि जिम्व अज्जु मरमि ण किरीडि कुलीणहं आवडइ पर पेक्खमि मरणावत्थ तउ अण्णु-वि पुणु जमलउ महुमहणु अण्णु-वि गज्जइ सारंगु पुणु अण्णु-वि पुणु पंचयण्ण-सहिउ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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