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इक्कासीइमो संधि उज्जल लेवि दाहिण-करेण परिपेसिय तहो जे विओयरेण वम्मीभुय भिंदेवि भूमि गय सउवलेण लइज्जइ चाव-लय रहु भीमें चूरिउ सउणि हउ कंपंतु महीयले मुच्छ-गउ विस-जउहर-जूवई सरेवि मणे णउ खुडिउ सीसुतं चोज्जु जणे ८
घत्ता दुम्मण-दुम्मणेण दुजोहणेण तहिं अवसरे रहु संचारिउ। तुच्छे दुराउलहो जणे आउलहो णिय गंथु णाई ओसारिउ॥
जं सउणि मामु भीमेण जिउ तं कुरु-जणु कण्णहो मूले थिउ तारायणु लंछण-ससहरहोणं सुरवर-णियरु पुरंदरहो धीरवेवि वहहिं णिरहिवडिउ पंचालहं अंगराउ भिडिउ सिणि-सुएण विद्धु पंचहिं सरेहिं सहएवं सत्तिहिं तोमरेहिं धट्ठज्जुणेण सत्तहिं णिहउ अणुवेण पंचवीसहिं विहिउ णउलेण सएण समावडिउ पवणंगएण पंचहिं धरिउ पंचालि-सुएहिं पंचहिंजणेहिं उरे ताडिउ पंचहिं मग्गणेहिं तेण-वि तें सहुं ए सव्व जिय वि-तुरंग वि-सारहि वि-रह किय ८
घत्ता देवेहिं दिण्णु तउ रवि-सुयहो जउ थिउ पंडु-सेण्णु विच्छायउ। तुट्ठइं कुरु-वलइं किय-कलयलई कण्णमउ सव्वु जगु जायउ॥ ९
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तो दुद्दम-दाणव-विंद-दमणु दक्खवइ भुवंगम-भीम-भुउ सेयायवत्तु करि-कक्ख-धउ अंबुजल-विज्जुल-पुंज-पहु विस-जउहर-जूय-कय-ग्गहहं अवराहहं सव्वहं मूल-दलु
गोविंदु महा-खगिंद-दमणु अहो अज्जुणु एहु सो सूर-सुउ हर-हास-हंस-संकास-हउ वर-वग्घ-चम्म-ओणद्ध-रहु वण-वसण-णिरिक्खण-गो-गहहं लहु आयहो पाडहि सिर-कमलु
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