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रिट्ठणे मिचरिउ तहिं अवसरे धाइउ सइणेयहो खय-दिणयर-कर-दूसह-तेयहो चंड-कंड-कोयंड-भयंकर हय-विवक्ख-पडिवक्ख-सुहंकरु वाहिय-रहु पवणुद्धय-धयवडु रणसिरि-रामालिंगण-लेहडु आसत्थाम-मामु सिय-माणणु णं केसरि रव-वहिरिय-काणणु तो सिणि-सुएण सरेहिं पच्छाइउ । चक्क-रक्ख-हय-सारहि घाइउ वणिय तुरंगम किउ विणिवारिउ पुट्टि देंतु गउ कह-वि ण मारिउ भग्गइं रह-गय-तुरयाणीयइं णरवर-विंदई कियइं अजीयइं छिण्णई सिरई कमल-संकासई णच्चावियई कवंध-सहासई
घत्ता भंजंतु असेस णराहिवइ सच्चइ वूहे पइड किह। मसि-कुच्चउ देविणु दूहवइ सुहय विलासिणि हियई जिह ॥
[१४] सिणि-णंदण वइसाणरेण सर-जालोलि-भयंकरेण। दड्डइं रिउ-साहण-वणइं रह-गिरि-धय-तरुवर-घणइं॥
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भग्गइं दारुण-पहरण-वीयई दाहिणत्त-कंवोयाणीय अंगराय-वल्हिक्क-वलाइ-मि भिण्णइं दसहइं गिरि अचलाइ-मि तहिं अवसरे विप्फारिय-धम्में सिणिवइ हक्कारिउ कियवम्में जायव थाहि थाहि कहिं गम्मइ जिवं विहिं हणइ एक्कु जिह हम्मइ भुंजउ अज्जु रज्जु हरसिय-मणु धम्म-पुत्तु जिम जिम दुज्जोहणु तं णिसुणेविणु रोसिउ माहउ पुणु किउ घोरुग्गारु महाहउ छहिं सोलहहिं णिहउ सिणि-तोएं एक्कवीस सर लाइय भोएं उरे माहवेण समाहउ सत्तिए पडिवउ पूरिउ सरवर-पंतिए
घत्ता हयवर-सारहि-सिरु खुडिउ लहु अण्णहिं रहवरे संचडिउ। कियवम्मउ पंडव-वलहो गउ सच्चइ कंवोयहं भिडिउ॥
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