SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चउसष्ठिमो संघि स-धणु स-तोणु ताम सिणि-णंदणु दारुअ-अणुव-पचोइय-संदणु ४ वासव-सुयहो सीसु जस-लुद्धउ कंचण-केसर-सीह-महद्धर सयड-वूहु फेडंतु अगायरु मच्छु जेम गउ भिंदेवि सायरु पेक्खंतहं किव-कण्ण-विगण्णहं रहवरु वाहिउ उप्परि अण्णहं जो जो दारुणु रणु विण्णासइ सो सो सर-भरियंगु पणासइ हय-गय-णर-णरिंद संघारेवि सच्चइ-वाण जंति महि दारेवि पत्ता दुम्मुह सलोह वण्णुजला विंधण-सीला पाणहर । गुण-मुक्का धम्म-विवजिया तो-वि मोक्खु पावंति सर ।। [१२] सच्चइ सच्चाहिट्ठियउ रणे पहरंतु अणिट्ठियउ। एम महारहु संचरइ जमु जिह वाल-कील करइ॥ ८ गेज्जुज्जले सारंग-पसाहणे भिडिउ कलिंग-महागय-साहणे हय-ढक्का-रव-वहिरिय-णहयले पायवीढ-पीडिय-पिहिवीयले दंति-दंत-दंतुरिय-दियंतरे मय-सरि-सित्त-सोत्त-गत्तंतरे कर-मंडव-परिपिहिय-दिवायरे मय-णइ-पूराऊरिय-सायरे कण्ण-पवण-कंपाविय-महिहरे मय-परिमल-मेलाविय-महुयरे लइय णिरंतरं जायव-वाणेहिं आयए णाय-काय-परिमाणेहिं छिण्ण हत्थ पाडियई विसाणइं विसहर-वेणु-करीर-समाणइं सिरई स-देहई भिंदेवि घाएं णीसरंति सर पच्छिम-भाएं घत्ता सच्चइ-णाराय ण वीसमिय दारेवि करि-कुंभत्थलई। णव-पाहुडु अज्जुण-केसरिहिं णिति णाई मुत्ताहलई॥ _ [१३] दलिय-कुंभि-कुंभत्थलई कड्डिय-सिय-मुत्ताहलइं । केसरि जिह परिसक्कियउ तिह पहरिउ जिह परिसक्कियउ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy