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उरिसियो मउ परिरक्खणे
अम्हेहिं सव्वेहिं
अक्खु जुहिट्ठि
घत्ता
खंडव - डह - डामरु आहासइ जो गंडी परहो देवावइ अच्छउ एण कसाएं लइयउ पई वुज्झाविउ देवइ- णंदण तुहुं गुरु माय - वप्पु तुहुं सामिउ भइ मुरारि पइज्ज ण जुज्जइ वरि मरियण वुत्तु अहिखित्तउ पंकयणाह - णाह-उवएसें
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चोरि णिहि सत्थु दावंतउ । पहिउ वि देवत्तणु पत्तउ ॥
-
घत्ता
कोण वोल्लइ महु परमत्थें सउरि ण वोल्लइ पाण-सहेज्जउ
भीमु ण वोल्लइ विक्कमवंतउ रक्खिउ जेण जलंतए जउहरे भगु किमीरु जडासुरु कीयउ पइं पत्थिवेण कवणु किउ सुंदरु पद्मं पत्थिवेण वसुंधरि हारिय परं पत्थवेण किलेस - णिरंतरे
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एक्क्क्कर रणे विणिवाइउ । परं कवणु णराहिउ घाइउ ॥
तिह करि जिह पइज्ज णउ णासइ
सो विणा महु पासो पावइ मोह - महा-तम- जालें छइयउ जं पणहि तं करमि जणद्दण तुहुं सुहि विहर-तरंगिणि-गामिउ जइ जेट्ठहो जेट्ठत्तणु भज्जइ तं
भणु जेण होइ अवचित्तउ धम्म- पुत्तु सविउ विसेसें
लालिउ पालिउ जेण सहत्थे जासु पसाएं हउ रणे दुज्जउ अच्छइ अज्जु -वि जो पहरंतउ हिउ हिडिंवु हिडिंव-वणंतरे जेण कयंत णिहेलणु णीयउ मंडिउ कवड - जूउ दउरोयरु दोइ जण मज्झे वित्थारिय तेरह वरिसइं वसिय वणंतरे
असीइमो संधि
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