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________________ १५७ उरिसियो मउ परिरक्खणे अम्हेहिं सव्वेहिं अक्खु जुहिट्ठि घत्ता खंडव - डह - डामरु आहासइ जो गंडी परहो देवावइ अच्छउ एण कसाएं लइयउ पई वुज्झाविउ देवइ- णंदण तुहुं गुरु माय - वप्पु तुहुं सामिउ भइ मुरारि पइज्ज ण जुज्जइ वरि मरियण वुत्तु अहिखित्तउ पंकयणाह - णाह-उवएसें [११] Jain Education International चोरि णिहि सत्थु दावंतउ । पहिउ वि देवत्तणु पत्तउ ॥ - घत्ता कोण वोल्लइ महु परमत्थें सउरि ण वोल्लइ पाण-सहेज्जउ भीमु ण वोल्लइ विक्कमवंतउ रक्खिउ जेण जलंतए जउहरे भगु किमीरु जडासुरु कीयउ पइं पत्थिवेण कवणु किउ सुंदरु पद्मं पत्थिवेण वसुंधरि हारिय परं पत्थवेण किलेस - णिरंतरे [१२] एक्क्क्कर रणे विणिवाइउ । परं कवणु णराहिउ घाइउ ॥ तिह करि जिह पइज्ज णउ णासइ सो विणा महु पासो पावइ मोह - महा-तम- जालें छइयउ जं पणहि तं करमि जणद्दण तुहुं सुहि विहर-तरंगिणि-गामिउ जइ जेट्ठहो जेट्ठत्तणु भज्जइ तं भणु जेण होइ अवचित्तउ धम्म- पुत्तु सविउ विसेसें लालिउ पालिउ जेण सहत्थे जासु पसाएं हउ रणे दुज्जउ अच्छइ अज्जु -वि जो पहरंतउ हिउ हिडिंवु हिडिंव-वणंतरे जेण कयंत णिहेलणु णीयउ मंडिउ कवड - जूउ दउरोयरु दोइ जण मज्झे वित्थारिय तेरह वरिसइं वसिय वणंतरे असीइमो संधि For Private & Personal Use Only ४ ८ ९ ४ ८ www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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