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________________ रिट्ठणे मिचरिउ किं ण महारहु किं ण जणद्दणु घत्ता [९] किंण वाहु किं तुहुंण धणंजउ किंण कणिड्डु हिडिंवा कंतहो किं ण पंडु - कुंतिहे उप्पण्णउ किं ण दोणु गुरु सीसुण सच्चइ राहण विद्ध भमंति णहंगणे सुरह णियंतहं हिय णिवाय - कवय ण महाहवे धणु णणियत्तिउ जिउण पियामहु दण खंडउ घत्ता जइ आसंकि तो सई जुज्झइ Jain Education International कंण विहय किं ण महद्धउ । जं रवि-सुण उद्धउ ॥ तहो तोसिय- कुरुव- णरिंदहो । गंडीउ देहि गोविंदहो । [१०] ड्ड मंडलग्गु तो पत्थें कहे कहो-वि कोसु किं खंडउ किं महु किं णिययहो किं रायहो जो प म गंडी विकत्थइ मं धरि धर-धराधर-धारा भइ जणद्दणु गुरु ण वि हम्मइ haणु धम्मु कि आमिस-भक्खणे कवण पइज्ज वंधु - विद्धंसणे किमु वा संग-संगु सयरज्जउ किं ण-वि भइणिवइउ अनंतहो किं ण पुरंदरु तउ सुउपसण्णउ जेम कण्णु जम-रुण वच्चइ दोमइ लइय ण मंड रणंगणे मेहण भग्गण किउ सर - मंडउ लग्गु ण कुरुव- रिंद - पराहवे उभयवत्तु ण वहिउ जयद्दहु पुच्छिउ महुमहेण परमत्थें कहो जलणिहि जले तुट्टु तरंडउ रेण वुत्तु सिरु पाsमि आयहो सो विणासु अप्पाणहो पत्थइ पुज्जउ अज्ज पइज्ज भडारा कसाएं रहो गम्मइ कवणु असच्चु पाणि-परिरक्खणे कवण भत्तणु यिय- पसंसणे For Private & Personal Use Only १५६ ९ ४ ४ ८ www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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