SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 162
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १५३ असीइमो संघि घत्ता अमरिस-कुद्धएण भग्गु वत्थु भावेण विसजिउ। पंडव-साहणु जुझंतउ तेण परजिउ॥ पेक्खु पेक्खु किह किय-विवरेरा सत्तारह रह कइकय-केरा अंगराय-णाराय णिघिट्ठा गंपिणु भीमहो सरणु पइट्ठा एत्तहे पावणि घणु जिह गज्जइ एत्तहे पंडव-साहणु भज्जइ एत्तहे कुरुव-वरूहिणी धावइ एत्तहे तव-सुय-वत्त ण णावइ एत्तहे संसत्तग रणे दुज्जय जं जाणहि तं करहि धणंजय चिंताभारु एम जं पित्तउ तं णरु सोय-समाउल-चित्तउ गउ तेत्तहे जेत्तहे एक्कोयरु हत्थि-हडउ विद्दवइ विओयरु अहो विस-विसम-मोय-पसमावण जउहर-जलण-जाल-विहडावण अहो किम्मीर-कुरुव-करि-घायण वग-हिडिंव-कीया-विणिवायण घत्ता पंडव-णाहहो लइ एक्क-वि वत्त ण वुज्झमि। जाहि गवेसहि हउं भीम रणंगणे जुज्झमि ॥ [४] पभणइ पवण-पुत्तु स-विसेसउ जाहि धणंजय तुहुँ जे गवसउ मई चूरेवि गय-घडउ सइच्छए मरइ णरिंदु रूवेसहुं पच्छए महु संगामहो अवसरु वट्टइ जुज्झमाणु को सिमिरु पयट्टइ कुरुवहं संति समुट्ठइ कलयलु अण्णु-वि अणुपहे लग्गइ कुरु-वलु ४ तो सरोसु पभणइ दामोयरु जाहुं पत्थ वावरउ विओयरु को वीहइ दुजण-जंपणयहो पेक्खहुं वयण-कम्मलु तव-तणयहो पच्छए चंपाहिउ आरोडहि सिरु स-किरीडु स-कुंडलु तोडहि एवं चवंत पत्त पह-मंदिरु सज्जण-जण-मण-णयणाणंदिरु ८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy