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रिट्ठणे मिचरिउ
घत्ता
तुहुं मूलु अणत्थहं सव्वह-मि वर - वसण- विराड - घरासम
[१३]
जिह गुणु छिण्णु सुहद्दा- तोयहो थाहि थाहि तिह एम भणेप्पिणु
भिण्णु देहु सहुं देहावरणें पंचवीस सर पेसिय कण्णें पवण - पुत्तु उप्पएवि गयाउहु लउडि- पहारें किउ कडवंदणु णासवारु णारोहु ण किंकरु सव्वई धूलिकरेइ रणे तूवरु
गय-घाएहिं भीमें चूरियइं सोवण्णमयहं सउ संदणहं
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घत्ता
जउहर - जूय-कयग्गहहं । दाहिण - उत्तर - गोग्गहहं ॥
[१४]
कह-मि ण पइसइ रह-गय-वाहणु सुवल-सुण ताम असिहत्थहं पंच सय रहवरहं स - रहियहं एक्वें भीमें कोवाऊरिय तावं परोप्पर सर - संछण्णहं सरहस वावरंति णारा एहिं सारहि जम- पुरवरे पइसारिउ कड्ढि कह- मि तुरंगेहिं रहवरु
जिम महु णंदणु णिउ जम-लोयहो विद्धु थiतरे थाणु एप्पिणु
कह-वण जीविउ णिउ जमकरणें खंडिउ रहवरु थूणाकण्णें धा रणे राहो संमुहु चुक्कउ तुरउ ण धुरउ स - संदणु णायवत्तु ण धयग्गु ण चामरु चूरिउ सउरि - महारह - कूवरु
तीस सयाइं तुरंगमहं । सत्त सयई तंवेरमहं ॥
वम्मु व अग्गि-तत्तु कुरु-साहणु पेसिय तिणि सहासइं अत्थहं सव्वाओग - सव्व-वल सहियहं सव्व गयासणि-घाएहिं चूरिय
जाउ महाहउ तवसुय- कण्णहं णं वे दियर - कर- संघाएहिं स- रहिउ जाणवत्तु ओसारिउ
धाइउ ताम तुरंतु विओयरु
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