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________________ १२९ सत्तहत्तरिमो संधि [७] गज्जिज्जइ ताम-मेत्त वियणे जइयहुं धण-कंचण-जण-पउरे तइयहुं तुहुं णरेण णिवारियउ जइयहुं गंधव्वेहिं णाहु णिउ जइयहुं विराडपुरे लयउ धणु तइयतुं कुरु-वलई कियाउलई जइयहुं गंगेउ दोणु पहउ असि-पह-परिहविय-सयद्दहहो घत्ता तइयहुं तहिं रणे एक्कल्लउ कुरु-वलइं खंतु परिसक्किउ ण णिहालहि पंडव जाम रणे पिडु मंडिउ दुमयहो तणए पुरे हउं भीमें कहव ण मारियउ तइयतुं पई को ववसाउ किउ कुढे लगु धणंजउ एक्कु जणु सीहेण व भग्गइं गयउलई तइयह तुह कण्ण कत्थ गयउ जइयहुं सिरु खुडिउ जयद्दहहो ८ णरु णाई कयंतु णवल्लउ। पई धरणहं तो-वि ण सक्कियउ॥ ९ [८] आरुङ कण्णु मद्देसरहो वलु जिंदहि कुरु-परमेसरहो ण णिएवउ जाहं कयावि मुहु उव्वहहि पक्खु तहो तणउ तुहुं जइयतुं दोमइ-केस-गहणु तइयहुं किउ कवणु परिग्गहणु पंडव चयारि दूसल-धवहो गय भजेवि एकहो सिंधवहो धणु-कोडिए पेल्लिय वेण्णि मई तहिं काले काइं णउ दिट्ठ पई जइयहुं विणिवाइउ रयणियरु . तइयहुं कहिं गउ गंडीव-धरु एवहिं धुउ जममुहे पइसरइ परिरक्खु तियक्खु जइ वि करइ जिम महि भुंजाविउ कुरुव-पहु जिम गसिउ हुवासणु दुविसहु __घत्ता जिम महु पयाउ ओहट्टियउ जिम अज्जुण-दुमु दलट्टियउ। जिम जस-कुसुमई विखिण्णाइं जिम अंगई धरणिहे दिण्णाई॥ ९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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