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रिट्ठणे मिचरिउ
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अकुलीणउ जइ चंपाहिवइ जइ अंग-राउ णउ वड्डिमउ पहु-अवसरे तिण-समु गणइ सिरु तुहुं पंडु-पुत्तु लइ सयल महि ता तेण-वि उत्तरु दिण्णु तहो ण समिच्छमि वसुमइ-वइसणउं धणु-कोडिए भीम णिवारियउ एवड्डु महाणुभाउ कवणु
तो अत्थई रामु ण अल्लियइ तो महु अद्धासणे चडइ कउ गंगेएं दिण्णु कुमति चिरु कुरु-पंडव-पेसणु कारवहि हउं किंकरु कुरुव-णराहिवहो णउ छत्तई चामर वासणउं जम-जे? जिणेवि ण मारियउ जई घई तुहुं वीयउ धुर-धरणु
८
घत्ता
तं णिसुणेवि अणिहय-मल्लेण दुजोहणु पणिउ सल्लेण । जइ करहि महारउं वुत्तउं तो सारहि होमि णिरुत्तउं ।।
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पणवंतहो कुरुव-णराहिवहो परिओसु पवडिउ कुरु-णिवहे करि-कक्ख-महद्धउ उब्भियउ रवि-णंदणु रहिउ वलावरिउ तो पभणइ कुरुव-णराहिवइ हणु पंडव महसूयणेण सहुं गउ रवि-सुउ उप्परि अज्जुणहो रह सारहि सारहि पई भणमि
घत्ता अहो तावणि अमरिस-कुद्धउ गज्जहि अणाय-परमत्थउ
कह कह-व वयणु पडिवण्णु तहो हय हंस-सम-प्पह जुत्त रहे मद्दाहिउ धुरहे परिट्ठियउ रहु चलिउ सव्व-पहरण-भरिउ जय णंद वद्ध चंपाहिवइ तिह करि जिह वसुमइ होइ महु णं दुसहु माहु णव-फग्गुणहो कुंती-सुव जाम सव्व हणमि
८
णं वेसरि आमिस-लुद्धउ । को पंडव जिणेवि समत्थउ॥
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