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________________ ११८ रिट्ठणे मिचरिउ घत्ता रवि -किरण-करालई सहेवि ण सक्किय कण्ण-सर। सहुँ मद्दि-सुएहिं भीमु पधाइउ एक्कु पर। [३] पेल्लिउ तिहि-मि तेहिं चंपाहिउ लहु-आएसु दिण्णु सामंतहं विरसिय-काहल-संख-मुयंगहं मेहल-तामलित्त-जोहेयहं धट्ठज्जुणेण सव्व ते धरिया सच्चइ भिडिउ ताम रणे वंगहो विद्ध सरेण सो-वि वच्छत्थले अट्ठहिं णउलु विद्ध तो अंगें ४ मणे आरोसिउ कुरुव-णराहिउ गय-साहणियहं विक्कमवंतहं अंग-वंग-कंवोय-कलिंगहं सग-पमुहहं अवरह-मि अणेयहं एक्के कहो णव-दह सर भरिया पाडिय पाय मत्त-मायंगहो णिवडिउ थरहरंतु महि-मंडले तेण वि छिण्ण तिउण-सर-भंगे ८ घत्ता सगइंदु णरिंदु तिहिं तोमरेहिं समाहयउ। सगिरिंदु मइंदु दीसइ णं महियलु गयउ ।। [४] जीविउ लेवि विहि-मि गंगहं धाइय जमल मत्त-मायंगहं णं जमदूव पिहिवि-परिपालहं णं वे पवण महाघण-जालहं हणइ णउलु धायहिं भंकुडियहं । असणि-कियंत-कोंत-अंकुडियहं सो तहिं वंधवेहिं करि गणिएहिं अवरेहि-मि पुव्वागम-भणिएहिं करि विहणंति पुच्छ-कर-चरणेहिं वंध-विसाण-जुवल-वावरणेहिं सहएवु वि आहणइ किवाणे विज्जु-पुंजु णं फुरण-पमाणे विहि-मि महा-गय-चक्किय खंडिय तेण पंडतेहिं वसुमइ मंडिय णं जलहर पाडिय उप्पाएहिं णं पायव पुंजिय दुव्वाएहिं ४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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