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छहत्तरिमो संधि
फुरियाउह-विजु कुरु-गिरि-सिहरेहिं
गय-घड-घण-मालावरिउ। पंडव-पाउसु उत्थरिउ॥
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भिडियई विण्णि-वि वलई महा-रणे भीसण-वण्ण वसुंधरि-कारणे वेण्णि-वि अवसई अमरिस-कुद्धइं अमर-वरंगण-जयसिरि-लुद्धई वेण्णि-वि रय-णिहाय-धूसरियइं पहु-सम्माण-दाण-वहु-भरियइं वेण्णि-वि वावरंति विविहत्थेहिं साहुक्कारियाई सुर-सत्थेहिं णिग्णय णइ सोणिय-पब्भारें किंपि ण सुम्मइ हणहणकारें तूर-णिणाएं गज्जइ अंवरु णं पडिवण्णउ महाघण-डंवरु पेल्लावेल्लि जाय मायंगहं गुड-फुड-फिडि-फेडिविय तुरंगहं धुर-मुह मुरिय रहहं पडिलग्गहं खण-खण सद्दु समुट्ठिउ खग्गहं
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घत्ता
जुझंति वलाई णं वर-मिहुणाई
उहय मडप्फर-सारइं। अंध-दविड-कण्णाडई।
ताम कण्णु रणे रहवर-वाहणे णिहयइं पंच-सयई पंचालहं णिय-वलु पडिवडंतु पेक्खेविणु वेढिउ अंगराउ चउ-पासेहिं एक्कु अणंतेहिं जिणेवि ण तीरइ सीसई तामरसाइं व तोडइ रह गंधव्व-पुराई व पाडइ णरवइ णिरवसेस संताविय
णिवडिउ सोमय-सिंजय-साहणे पण्णारह रहियह रह-पालहं धाइय पंडव तूरइं देविणु रहवर-गयवर-तुरय-सहासेहिं भुव-भुवंग-सण्णिह-सर सीरइ गयवर गिरि-संघाइं व फोडइ भड कुडुंग-झाडाइं व झाडइ णिय-णिय-वाहणेहिं ल्हिक्काविय ८
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