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रिट्ठणे मिचरिउ
घत्ता ताम महाघण-घोसइं दिव्व-वाणि णहे घोसइ। जेत्तहे पंकय-णाहु तेत्तहे वसुमइ होसइ ।।
[१३] तं दोणिहिं करेवि णिरत्थु अत्थु संसत्तग-साहणे भिडिउ पत्थु सर-जालई दिसहिं पउंजिआई सीसक्कई कवयइं पुंजियाई धय-छत्तई चिंधइं चामराई कुस-कंचुय-पावरण-वराई पल्लाणइं चउरि-सिआसणाई गुरु-पक्खर-भिसिय-कूसणाई आहरणई वाहण-पहरणाई परिहरेवि पणट्ठइ साहणाई तहिं अवसरे पंचहिं सायएहिं किवि-सुएण विद्ध अइ आइएहिं ते खंडिय खंडव-डामरेहिं पंचिदिय जिह तित्थंकरेहिं णारायणु पभणइ विधि विधि ओसहेहिं वाहि जिह तिह ण सिद्धि ८
घत्ता हरि-आएसु लहेवि गुरु-सुउ भणेवि ण मारिउ। पत्थें आसत्थामु पुट्टि दिंतु ओसारिउ॥
[१४] णर-सर वंचंतु दलंतु खोणि वले कण्णहो गंपि पइडु दोणि कइकेयणो-वि रणे वावरंतु संसत्तग-साहणे पइसरंतु वोल्लाविउ वलेवि जणद्दणेण कंसासुर-णरसुर-मद्दणेण अहो अज्जुण पच्छए दुद्धरेहिं जुज्झेसहुँ सहुं जालंधरेहिं विणिवायहि ओए-वि तिण्णि ताव जरसंधहो वंधव खुद्द-भाव तियसह-मि रणंगणे दुण्णिवार उग्गाउह दंडय दंड-धार तो तालुयवम्म-पुरंजएण रहु वाहिउ तुरिर धणंजएण सो पंचहि पंचहिं सरेहिं विद्ध तेण-वि एक्केक्कउ तिहिं णिसिद्ध
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