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रिट्ठणे मिचरिउ
घत्ता तहो एम चवंतहो दोवइ-कंतहो आसत्थामें
सव्वायामें
सर सय सहस लक्ख सिजिरु। अत्थु विसज्जिउ वंभु सरु ।।
[दुवई] तेण महाउहेण सिजियासुग सय दस सहस गण्णहिं।
अण्णहिं सव्वसाइ महि अण्णहिं छाइउ गयणु अण्णहिं। घोरु तमंधयारु अण्णेत्तहे फेक्कारंतु सिवउ अण्णेत्तहे अण्णेत्तहे वुक्कण-गणु वुक्कइ अण्णेत्तहे जोइणि-गणु ढुक्कइ अण्णेत्तहे अण्णइं लल्लक्कई अण्णेत्तहे जलंति दिसि-चक्कई अण्णेत्तहे जलु जलइ सजलयरु अण्णेत्तहे झामलउ दिवायरु अण्णेत्तहे थिमिथिमिउ पहंजणु अण्णेत्तहे जुज्झइ सयलु-विजणु वट्टइ पलय-कालु पडिवण्णउ पंडव-लोउ सयलु आदण्णउ किर मुउ अज्जुणु जलण-महाउहे दिण्णइं तूरई कुरु-सेण्णाउहे तो करे धणु विप्फारिवि पत्थें वंभ-सराउहु वंभ-सरत्थे किउ णिरत्थु दुम्मिउ गुरु-णंदणु कज्जु ण सारइ एक्कु-वि पहरणु
घत्ता पेक्खेवि असरालई णर सर-जालई णं कुल-गिरि कुलिसाहिहउ। जिंदंतु सरासणु घिवेवि हुवासणु णासेवि गुरु-सुउ कहि-मि गठ॥११
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[दुवई] कुरुव-णराहिवो-वि णिय-हियए विसूरइ तित्थु अंतरे ।
खुहिय समुद्द घोस गइ वाणि समुट्ठिय दिव्व अंवरे ॥ अहो गुरु-णंदणु काइंण वुज्झहि णर-णारायणेण सहुं जुज्झहि जेहिं आसि अण्णहिं जम्मंतरे घोरु वीरु मयणाय-महीहरे सट्ठि सहास सट्ठि सय वरिसहं दूसहं विसम-परीसह-दरिसहं करेवि णियाण-वंधु तउ विण्णउं सव्व-सह रणु होउ अतिण्णउं
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