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[४] [ दुबई ]
रायण किं क्वें
ससण-तणुब्भवेण वोल्लिज्जइ जो असमत्थु अच्छइ । सो छंडउ ण एक्कु हउं छंडमि जइ - वि सयई अणत्थई । भिडमि अज्जु धु सहु तइलोक्कें फुरिय-फणामणि- मणि उद्दालमि चंदाइच्च तलप्पए पाडमि कालु कयंतु मित्तु जसु मारम तइयए दिवसे हम दूसास महु गय- घाय - दलिउ दुज्जोहणु महि तव - सुयहो देमि आवग्गी दुक्कर पहरणग्गि मई सोसइ
पियमि
समुद्दु मेरु संचाल
धरमि सुरिंदु धणउ विब्भाडमि दइ अदइउ करमि महि दारमि कर-चरणेहिं दरमलमि हुआसणु मरइ चउत्थए रइ-आओहणु पंचव (?) संसय-भाव - वलग्गी अहव य तेण काई जे होसइ
तावंवुहि वड्डउ महु भुव दंडेहिं
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घत्ता
सुरगिरि जड्डुउ हु विसालु दुव्विसहु रवि । सुरकरि कर चंडेहिं आयामिज्जइ जाम ण वि ।।
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[दुबई]
किं सच्चइ - सिहंडि-धट्ठज्जुण-जमल-णरिंद-पत्थहिं । हणारायणत्थु विणिवारमि पहरण - पउर- हत्थहिं ॥ वाणु मंडमि
छंडमि जइ जर-मरणु ण ढुक्क छंडम जण वाहि पवियंभइ छंडमि जइतिहुअण- सिरिरम्मइ छंडमि जीव-लोउ जइ णिच्चलु
छंडमि जइ ण विओउ पहावइ छंडमि जइ ण रज्जु पल्लट्टइ अच्छेवि जइ पुणु पुणु वि मरिज्जइ
चउहत्तरिमो संधि
गोविंद गयासणि छंडमि
छंडमि जइ जम-लेखउ चुक्कमि छंडमि जइ देवत्तणु लब्भइ छंडमि जइ दुग्गइहे ण गम्मइ छंडमि सयल काल जइ मंगलु
छंडमि जइ दालिद्दु ण आवइ
छंडम जइ ण सरीरु वियट्टइ
तो वरि वइरि-पुंजे पहरिज्जइ
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