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________________ १०१ [४] [ दुबई ] रायण किं क्वें ससण-तणुब्भवेण वोल्लिज्जइ जो असमत्थु अच्छइ । सो छंडउ ण एक्कु हउं छंडमि जइ - वि सयई अणत्थई । भिडमि अज्जु धु सहु तइलोक्कें फुरिय-फणामणि- मणि उद्दालमि चंदाइच्च तलप्पए पाडमि कालु कयंतु मित्तु जसु मारम तइयए दिवसे हम दूसास महु गय- घाय - दलिउ दुज्जोहणु महि तव - सुयहो देमि आवग्गी दुक्कर पहरणग्गि मई सोसइ पियमि समुद्दु मेरु संचाल धरमि सुरिंदु धणउ विब्भाडमि दइ अदइउ करमि महि दारमि कर-चरणेहिं दरमलमि हुआसणु मरइ चउत्थए रइ-आओहणु पंचव (?) संसय-भाव - वलग्गी अहव य तेण काई जे होसइ तावंवुहि वड्डउ महु भुव दंडेहिं Jain Education International घत्ता सुरगिरि जड्डुउ हु विसालु दुव्विसहु रवि । सुरकरि कर चंडेहिं आयामिज्जइ जाम ण वि ।। - - [५] [दुबई] किं सच्चइ - सिहंडि-धट्ठज्जुण-जमल-णरिंद-पत्थहिं । हणारायणत्थु विणिवारमि पहरण - पउर- हत्थहिं ॥ वाणु मंडमि छंडमि जइ जर-मरणु ण ढुक्क छंडम जण वाहि पवियंभइ छंडमि जइतिहुअण- सिरिरम्मइ छंडमि जीव-लोउ जइ णिच्चलु छंडमि जइ ण विओउ पहावइ छंडमि जइ ण रज्जु पल्लट्टइ अच्छेवि जइ पुणु पुणु वि मरिज्जइ चउहत्तरिमो संधि गोविंद गयासणि छंडमि छंडमि जइ जम-लेखउ चुक्कमि छंडमि जइ देवत्तणु लब्भइ छंडमि जइ दुग्गइहे ण गम्मइ छंडमि सयल काल जइ मंगलु छंडमि जइ दालिद्दु ण आवइ छंडम जइ ण सरीरु वियट्टइ तो वरि वइरि-पुंजे पहरिज्जइ For Private & Personal Use Only ४ १० ४ し www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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