SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 109
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ रिट्ठणे मिचरिउ कवयइं भिण्इं णरवर - विंदहं आहरणई आउहइं विचित्तई जलु थलु णहयलु जलइ जलतें जिह जिह हण व साहणु पंडउ तं णिएवि दोणायणि-पहरणु भणइ अजायसत्तु किं अच्छहो पक्खर - भिसिया वे - वि गइंदहं छत्त-धय-चामरई पलित्तइं डामरु णं आढत्तु कयंतें तिह तिह जलइ सव्वु णं खंडउ अवरु अजुज्झमाणु कइकेयणु सोमय- सिंजय-कइकय-मच्छहो पाण लएविणु कहि-मि पणासहो मई पइसेवउ मज्झे हुवासहो घत्ता पवणंगय-जमलेहिं अवसर-धवलेहिं तिहिं वुड्डेवर वइरि-वले । अज्जुणणारायण - रहिएहिं परि परिगहिएहिं णं दुव्वाएहिं उवहि जले ॥११ तो णारायण वोल्लाविय तवसुय-जमल- विओयरा । छंडहु पहरणाई परिहरहु महारह- तुरय- कुंजरा ।। आयो कोविजियंतु ण चुक्कइ किं णारायणत्थु उ वुज्झहो भीमज्जुणहो घिवेवि असमत्थई जमलहो कोंत - किवाणइं घित्तहो - भावहो जेण पयट्टइ ताम पलित्तु सुहड-चूडामणि जीविउ जाम ताम लइ जुज्झहो करि किरिडी जहिं स-सरु सरासणु उवसम घत्ता धणु घिवेवि पहत्थें पर एक्कहो कमि [३] [दुबई] Jain Education International पंडव-जायव-वलइं झुलुक्कइ तक्खिवि कुल--परिवाडि म झुज्झहो विणि-वि वे गय गंडीव - हत्थई जय-जयकार करहु सामंतहो णं तो समइ उह विहट्टइं मं भज्जो मंभीस पावणि छंडेवि पहरणाई कहिं सुज्झहो मंभीसहो किं करइ हुवासणु वुच्चइ पत्थें भिडेवि ण सक्कमि १०० ४ हउं समत्थु सव्वहो जणहो । समरंगणे णारायणहो ॥ For Private & Personal Use Only ४ १० www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy