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चउहत्तरिमो संधि
१
रण-रहसुद्दामें आसत्थामें ताव कयत्थिउ पंडु-वलु। मंदर-तड-ताडिउ दिसहिं भमाडिउ दीसइ णं खीरोय-जलु॥
। [१]
[दुवई] हय-गय-पाय-घाय-धुअ-धवल-धूलि-धूसर-सरीरई।
पहु-सम्माण-दाण-रिण-रण-भर-धुर-धरणेक्क-धीरई ।। भिडियइं वलइं वे-वि तुरमाणइं अहिणवब्भ-डंवर-संथाणइं अलमल-मय-मयगल-गल-वोलई जलहि-जलई व लोल-कल्लोलइं रहवर-भड-भारिय-भुवणिंदई परिओसाविय-सुरवर-विंदई तुरिय-तुरंगम-रंगणसीलई पेसिय-पवर-पहरणुप्पीलई किय-कलयलई समाहय-तूरई सूर-कंत-कंती-जिय-सूरई खग्ग-लयालिंगिय-भड-रुक्खइं। गरुय-घाय-उप्पाइय-दुक्खई मंस-रासि-मेलाविय-गिद्धई रत्त-तरंगिणि-लंघिय-चिंधई पहरण-जलण-झुलुक्किय-गत्तइं चामर-पवणुड्डाविय-छत्तई
। घत्ता जूरविय सुरंगणे तहिं समरंगणे रइय महा-सर-मंडवहं । णारायणु णामें आसत्थामें पेसिउ पहरणु पंडवहं ।।
[२]
[दुवई] पलय-पयंग-पवण-पज्जालिय-जलण-जलंत भीसणं ।
खुहिय-महासमुद्द-सुरदुंदुहि-णव-घण-घोस-णीसणं ।। छेउ ण लगभइ जालामालहं पावरणुत्तमंग-महिपालहं सव्वावय-रहहं कणयंगहं गुरु दलवट्टि पवर-तुरंगहं
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