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तेहत्तरिमो संधि
कहइ धणंजउ तेण० तहो तव-तोयहो तेण०।
आयण्णंतहो तेण० पंडव-लोयहो तेण०॥ ओह पत्थिव-पर-वल-पलयकरु अवहत्थिय-मरण-ब्भय-पसरु सोवण्ण-सीह-लंगूल-धउ जसु सोएं सग्गहो दोणु गउ किव-भायणेउ किवि-काय-करु जाएण जेण किउ तूर-रउ जसु आसत्थामु णामु ठविउ पंचाल-सेण्णु जें णिविउ णारायणु पहरणु जसु वियइ समरंगणे आयहो को जियइ णउ हउं णवि तुहुँ णउ महुमहणु णउ भीमु ण जमलहं एक्कु जणु ण सिहंडि पंडि धट्ठज्जुणु-वि ण-वि सोमय सिंजय कइकय-वि जं जाणहो तं तुम्हई करहो लहु इट्ठ-देवहो संभरहो
लहु २४५७
घत्ता
पंडव-पक्खिउ परम-गुरु तं मारेविणु समर-मुहे
गउ धणु-विण्णाणहो पारउ। तउ तव-सुय कहिं उत्तारउ ।
अलिउ चवावि तेण० कवड-सणाहेण तेण०।
तुहुं वेयारिउ तेण० पंकय-णाहेण तेण०॥ कुल-जायहं सच्चु पसाहणउं सग्गापवग्ग-सुह-साहणउं विहलियहं विढत्तउं देताहं पहरंतहं सच्चु चवंताहं जं होइ होउ तं खत्तियह
सासयई सरीरइं केत्तियह सच्चेण वसुंधर देइ फलु सच्चेण मेह मेल्लंति जलु सच्चेण वहंति महा-सरिउ सच्चेण समुद्द-पसरु धरिउ सच्चेण सुरहि परिमल-सहिउ सच्चवइ पहंजणु ओसहिउ सच्चेण गयणे उग्गमइ रवि सच्चेण फलंति महा-दुम-वि जलु थलु गयणयलु अणिट्ठियउ तइलोक्कु-वि सच्चे परिट्ठियउ
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