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________________ ८८ रिट्ठणेमिचरिउ तहिं तेहए रण-रए अइ-रउद्दे भड संचरंति मीण-व समुद्दे पहरंति परोप्परु बद्ध-कोह जा उट्ठिय सोणिय-पाणि-ओह णिवडियइ सिरई सुह डहं हयाइं णं कमलिणि-णालहं पंकयाई अण्णेत्तहे णिवडिय वाहु-दंड णं भीम भुवंगम किय दु-खंड ८ घत्ता णचइ कबंधु परितुट्ठ जाउ दुवोल्लउँ कहि-मि सिरु । वाहउ पहरंति रणंगणे छुडु छुडु हियवउ होउ थिरु ॥ ९ (३) रण-भूमिहि रुहिर-जलई ण मंति कर-कम-कवंध कुणई व तरंति रह-चक्कई ईसउ जुय-सराई धय-चि धइ छत्तई चामराई तणु-ताणई जाणई वारणाई सीसई सीसक्कई पहरणाई रउ पसमिउ पसरिउ सोणिओहु उप्पण्णु महण्णउ दिण्ण-सोहु धय-छत्त-सिहर-संठिय-विहंग रुहिरई पियंति परिओसियंग तहिं काले मइंदु व हरिण-जूहु पइसरइ विओयर मयर-वूहु चूरतु वलाई अणिट्ठियाइ सिर-पक्ख-पुट्ठ-कंठट्टियाई वाहिय-सवडम्मह-संदणेण हक्कारिउ गंगा-णंदणेण घत्ता कहिं जाहि भीम लइ पहरणु वलु विष्णासहि एक्कु खणु । पेक्खंतु देव कुरु-पंडव पोत्त-पियामह होउ रणु ॥ ८ ९ गंगेय-विओयर भिडिय वे-वि दडि-काहल-संख-मुइंग देवि पट्टविय परोप्परु णवर वाण विज्जुक्क-जलण-जाला-समाण संवट्टोरु उक्काया सलाय(१) आसीविस-विसहर-विसम-काय वावल्ल भल्ल ससि-खंड रूव कण्णय खुरुप्प णाराय सूव . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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