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बायालीसमो संधि
वाइयइं विचित्त-वाइत्तई गहियाउहई स-कलयलई । पंचमए दिवसे आभिट्टई विणि-वि पंडव-कुरु-वलई
[१]
परमेसरु णिम्मल-गुण-विहूइ सेणिएण पुच्छिउ इंदभूइ . गउ दिवसु चउत्थउ एवं देव पंचमए भिडेसइ कवणु केवं तं णिसुणेवि मुणि-जण-मणहरेण सेणियहो कहि जइ गणहरेण मेलवेवि चउव्विहु वल-समूह विरइज्जइ दोणे मयर-वूहु जमकरण-भयंकर दुण्णिरिक्खु धय-छत्त-पडंत-दियंतरिक्खु एत्तहे-वि दिण्ण मइ अजुणेण किउ सेण-वूहु धट्ठज्जुणेण हय-पडह-मेरि-दडि-काहलाई पडिलग्गई पंडव कुरु-वलाई गंधव-पुरोवम-रहवराई णव-जलहर-विभम-गयवराई
धत्ता वलग्ग-तुरंग-तरंगई गह णक्खत्त-समाउहई। णं जगु सयरायरु खंतेण काले कियई विग्णि मुहई ॥ ९
. [२] रउ उग्गउ हरि-खुर-भिज्जमाणु चलणाहउ को व ण मुवइ थाणु धुय-अधुय-धुयाधुय-अवयवीसे. अ.कुलीणउ को व ण चडइ सीसे पुणु करिवर-कुंभत्थलेहि थाइ लक्खिज्जइ सीह-किसोरु णाई ... धय-चामर-उत्तें चडिउ रेणु . रह-वसहहो णं रोमंथ-फेणु ४
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