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रिट्ठणेमि चरिउ कोउहल्लु कि अत्थि ण तुम्हहं वइरिहिं विजउ पराजउ अम्हहं संतण-तणुरुहेण बोल्लिज्जइ आएहि वयणेहि हासउ दिज्जइ माया-भायर-णंदणे माहवे पंडव सयइं जिणंति महाहवे जणणि-सहोयर-सुए तित्थंकरे दुजय पंडु-पुत्त सइ संगरे ८ सच्चइ कामपालु जहिं पज्जुणु मच्छु सिहं डि दुमउ धज्जुणु
धत्ता आए महाहवे दुबिसह होंति पयंड-कंड-कोयंडेहिौं । उत्थरंति णव जलय जिह जिणिय केण सयं भुव-दंडेहिं ॥ १०
इय रिट्ठणेमिचरिए धवलइयासिय-सयंभुएव-कए इकतालीसमो सग्गो ॥
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