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________________ एक्कचालीसमो संधि x के-वि स-कुंत-तोमर.णाराएहिं पलय-जलण-जाला-सच्छाएहिं फेडिय गिरि-व सुराउह-धाएहिं x के-वि गइंद गइंदेहिं आहय ण णिवडिय उप्पाय-वलाहय के-वि अराइ-णिवारण-भीमहो। सिरु धुणति ढुक्कंति ण भीमहो ८ दस-वि सहास एम विद्वंसिय तासिय पीसिय घसिय विणासिय धत्ता ताम सुहद्दा-णदणेण मागहु पिहिउ महा-सर-जालें । तिक्ख-खुरुप्पें खुडिउ सिरु आरणालु सरे णाई मराले ॥१० दुज्जोहणेण अवरु वलु चोइड तमिस-कसाएं जमेण-व जोइउ जो जो ढुक्कइ तहो तहो पावइ कुछउ मयहं मयाहिउ णावइ लउडि-पहारें णरवर-चक्कई तिमि जिह मीण महण्णवे भक्खइ जमल-जुहिट्ठिल-दोम-णदण सिहि-सिहंडि-अहिमण्णु-ससंदण । भीमहो दस पय-रक्ख परिट्ठिय कुरु-कुल-पलय-णिमित्तु समुट्ठिय ४ जउ जउ भीमसेणु परिसक्कइ तउ तउ पर-वले को-वि ण थक्कइ ताम पियामहेण हक्कारिउ वलु वलु तुहुं कहिं जाहि अ-मारिउ विण्णि-वि भिडिय महारउ उद्विउ सच्चइ अंतरे ताम परिट्ठिउ पत्ता दसहिं सरेहिं पियामहेण ...णवहिं अलंबुसेण उरे ताडिउ । णवहिं विद्ध भूरीसवेण तो-वि ण तासु मडप्फरु साडिउ ॥ ९ .. [१०] सच्चइ पंडवेहि परिवारिउ भीमें कुरुव-राउ हक्कारिउ... वलु खल खुद पिसुण कहिं गम्मइ पिडु ण होइ जं कवडे रम्मइ विसु ण होइ ज भीमहो दिज्जइ घरु ण होइ जं सिहि लाइज्जइ णउ पंचालि वाल कड्ढेवा एवहिं पाण परोप्परु लेवा ४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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