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________________ - एक्क चालीसमो संधि - दोमइ-भायरेण तुरमाणें अवरें किंकर मारिय थोडा अवरें स-सरु सरासणु ताडिउ सुहड-कबंधु गिरारिउ भंडइ रुंड रांगणे चितव छुड वे-वाहर होंतु महु विसम रहेण रूप्परहहो हुएण कुमारें 'विणिवाइय एयारह राणा दसहि सरेहि विद्धु घट्ठज्जुणु भीम भुवंगमोत्रम - कार हिं पाडिउ आयबत्तु धउ घणुहरु 'घाइड सल्ल-सूणु असि करयलु लइय लउडि घट्टज्जुण-वीरें विसम-रह जुत्तें मत्थर पहउ चूरिंउ. सिरु स- सिरावरणु 3. गयासणिए Jain Education International ताम महाहवे अणिहय-मल्लें - सुउ मदु तणउ हणेवि कहिं गम्मइ एम भणेवि तिहि सरेहिं समाहउ चेयण लहेवि सरासणु ताडिउ छिण्णु महा-घउ एक्के वाणें अवरें सारहि अवरें घोडा अवरें सिरु महि-मंडले पाडिउ मुट्ठि - मोक्खु संघाणु ण छंडइ [4] हक्कारिउ महाहिव पुत्ते केसरि-पोय-परक्कम सारें थाहि थाहि कहि जाहि अयाणा तेण-वि सज्जीकरेवि धणुग्गुणु पंचाहिय-सत्तरि- गाराएहि सारहि रहु रहंगु हय चामरु चम्म- रयण- छाइय-वच्छत्थलु अविरल - पुल उम्भिण्ण- सरीरें धत्ता धत्ता जाउ सीसु असमाणिय- कज्जउ । अणु-वि तइयउ हियउ सहेज्जउ ।। ९ ८१ दुमय- सुरण सिह डिहे भाएं | गिरिवर-सिहरु णाई णिग्धाएं ॥ ९ [६] जण सेणि हक्कारिउ सल्लें विहिं समरंगणे एक्कु णिहम्मइ घट्टज्जुणु मुच्छाणुस गर र्ण मद्दाहिव-हियवउ पाडिउ For Private & Personal Use Only ८ ४ www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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