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________________ ८० महाहिवेण महा-गय मुक्की कोंति-सुरण छिण्ण स-वि एंती सत्ति पियामहेण आम्मेल्लिय छिण्ण्णई सव्वाउहहूं णरिंदहं एक्कु घणंजउ रिउ वहुय हरिणई हरिणाहिवहो जिह एम जाम पत्रियंभइ अज्जुणु वेटिङ एक्कु दसहि सामंतेहि दस - वि महा-रह दस-वि घणुदूर दसह - मि दस सोवणई छत्तई - दसह - मि दस रसति वाइतई दसह - मि दस - वि महा-धय ताडिय -दसह - मि दस सारहि-वि णिवाइय दसह - मि खंडियाई रह चक्कई दसह-भि दस छिण्णई सिरई माणस सरवरे पइसरेवि हि ताम धणुद्धरेण मण-गमणें मरु कयंत दंतंतरे दुमयहो णंदणु वलिउ स-मच्छरु भिडिय वे विणं जिण-मयरद्धय Jain Education International रिट्टणेमिचरिउ णं सोदामणि ठाणहो चुक्की णं खल - दुम्मइ दुक्खई दिती खंडव - डामरेण णित्तेल्लिय नाई विसाणई गयई गइंदह धत्ता करव-संढतो व रणे रु भइ । दूरवरेण वि ढोउ ण लब्भइ ॥ ९ [३] ताम तिगत्तएहि घट्टज्जुणु चउ- दिसु हण-हण-कार करते ह दस-वि देव दाणवह-त्रि दुद्धर दसह मिं दस चामरई महतई - दसह - मि दस चिधाई विचित दसह - मि दस स-जीव धणु पाडिय दसह - मि पवर तुरंरंगम घाइय दसह - मि हयई कवय - सीसक्कइं घन्ता कुंडल-मउड- पट्ट- पजलंतई । हंसे हवई ( 2 ) णाई सयवत्तई || [ 8 ] थाहि थाहि हक्कारिउ दमणे कहिँ जालंधर हणेवि पयहहि णं अवलोयण-स - समए सणिच्छरु गंधवाह-धुय-धवल-महा-घय For Private & Personal Use Only ४ www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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