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महाहिवेण महा-गय मुक्की कोंति-सुरण छिण्ण स-वि एंती सत्ति पियामहेण आम्मेल्लिय छिण्ण्णई सव्वाउहहूं णरिंदहं
एक्कु घणंजउ रिउ वहुय हरिणई हरिणाहिवहो जिह
एम जाम पत्रियंभइ अज्जुणु वेटिङ एक्कु दसहि सामंतेहि दस - वि महा-रह दस-वि घणुदूर दसह - मि दस सोवणई छत्तई - दसह - मि दस रसति वाइतई दसह - मि दस - वि महा-धय ताडिय -दसह - मि दस सारहि-वि णिवाइय दसह - मि खंडियाई रह चक्कई
दसह-भि दस छिण्णई सिरई माणस सरवरे पइसरेवि
हि
ताम धणुद्धरेण मण-गमणें मरु कयंत दंतंतरे दुमयहो णंदणु वलिउ स-मच्छरु भिडिय वे विणं जिण-मयरद्धय
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रिट्टणेमिचरिउ
णं सोदामणि ठाणहो चुक्की णं खल - दुम्मइ दुक्खई दिती खंडव - डामरेण णित्तेल्लिय नाई विसाणई गयई गइंदह
धत्ता
करव-संढतो व रणे रु भइ । दूरवरेण वि ढोउ ण लब्भइ ॥ ९
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ताम तिगत्तएहि घट्टज्जुणु
चउ- दिसु हण-हण-कार करते ह दस-वि देव दाणवह-त्रि दुद्धर दसह मिं दस चामरई महतई - दसह - मि दस चिधाई विचित दसह - मि दस स-जीव धणु पाडिय दसह - मि पवर तुरंरंगम घाइय दसह - मि हयई कवय - सीसक्कइं
घन्ता
कुंडल-मउड- पट्ट- पजलंतई । हंसे हवई ( 2 ) णाई सयवत्तई ||
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थाहि थाहि हक्कारिउ दमणे कहिँ जालंधर हणेवि पयहहि णं अवलोयण-स - समए सणिच्छरु गंधवाह-धुय-धवल-महा-घय
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