SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 88
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एक्कचालीसमो संधि रण-रामालिंगण-मण दिवसे चउत्थए सरहसइ दणु-दप्पहरण-पहरण-वीयई । भिडियई पंडव-कुरुवाणीयई ॥ १ पुच्छिउ सेणिरण सो मुणिवरु एम देव गउ तइयउ वासरु कहि जं दिवसे चउत्थए होसइ तं णिसुणेवि महारिसि घोसइ णिसि पडिवण्ण णियत्तई सेण्णई अरुणुग्गमे कुरुखेत्तु पवण्णई भिडियइं समरिसई समर गणे रउ णिव्वडिउ चडिउ गयणंगणे जायव-जरसांधायाणीय रय-रक्वसेण धसेवि णं पीयई रवि-मंडल-अब्भतरे छुद्धउ गहण-काले णं गहेण णिरुद्धउ कवणु पएसु तेण णउ ढक्किउलोयावहि लंघणह' ण सकिउ पडिणियत्त पडिाविय-रिट्टउ तेण णाई रुहिर-णइ पइट्ठउ धत्ता : तहिं तेहए संगाम-मुहे दुण्णिवार-वर-वइरि-पुरंजय । स-सरई लेवि सरासणइं भिडिय वे-वि गंगेय-धणंजय ॥ [२] तहिं अवसरे भाणुवहे कंते. संतण-तणयहो रक्ख करते ताडि पंडु-पुत्त छहि वाणेहि... रुप्पिय-पुखेहिं णाय-पवाणेहिं छिण्णु वलुद्रेण .. सेयासे णउ जाणिय गय कवेणं पासे भूरीसवेण सत्त सर पेसिय ते-वि धणंजएण णीसेसिय ९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy