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रिट्ठणेमिचरिउ
वेढिज्जइ उव्वेढिज्जइ-
विण उ भज्जइ पर-वलु भंजइ-वि : चउ-पासिउ विंझइ विधइ-वि धणु भमइ सरासणि संघइ-वि . पउरंदरि-वाणेहि सव्व. जिय · हरिण व सीहेण णिरत्थ किय । णिप्पहरण स-व्वण भग्ग भड - णउ गाय कहिं गय हस्थि-हड
धत्ता भग्गई णिय वलई अस्थमिउ दिवायरु णहयले । णर-णारायणह जसु भमइ सई भू-मंडले ॥
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इय रिट्टणेमिचरिए धवलइयासिय-सयंभुएव-कए चालीसभी सग्गो ।।
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