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रिट्ठणेमिचरिङ
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गयणंगणु छाइउ जाय णिसि दीसइ ण दिवायरु ण-विय दिसि ण धणंजउ ण धणु ण सर-णियरु ण जणद्दणु सिग्गिरि-चक्क-धरु तो लइउ चक्कु गरुडासणेण जं खंडवे दिण्णु हुवासणेण
घत्ता तं करयले धरेवि दारावइ-पुर-परिपाले । जोइस-चक्कु जिह परिभमइ भमाडिउ काले ॥
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किउ करयले चक्कु जणद्दणेण गय भीमें धणु सिणि-णंदणेण अवरेहि-मि अवरई पहरणाई दुव्वार-महारिउ-वारणाई केसवेण दुत्तु गंडीव-धरु जइ धरेवि ण सक्कहि समरु-भरु तो ओसरु ओसरु संदणहो हउं भिडमि महा-णइ-गंदणहो असिवरेण वियारमि वच्छयलु। दस-दिसहि विहजमि कुरुव-वलु विण्णासमि विक्कमु अप्पणउं फेडमि जम्मही जगे जंपणउं गंगेय-दिवायरु अत्थमउ णारायण-चक्क-तिमिरु भमउ विण्णवइ विओयरु पणय-सिरु आएसु भडारा अस्थि चिरु
घत्ता
हम्मइ देव रणे एहु अट्ठमए दिणे
गउ पई णउ मई. णउ पत्थे । सई मरइ सिहंडिहे हत्थें ॥
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गंगेएं पभणिउ महुमहणु जरसंघहो कुरुवइ आणकर वड्डारउ अंतरु सुर-गरह जइ तुहुँ जिउ तो मई लदु जउ
पडि-किंकरेण सहूं कवणु रणु . . हडं तासु पियामहु भिच्चयरु समसीसी का महु किंकरहं .. जइ हउं जिउ तो वहु अयसु तउ ४
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