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उणतालीसमो संधि
लक्खेणेण वाणासणु पाडिउ अवरु सरासणु लेवि कुमारें वेटिड र सुउ णरवर- विदेहिं तहि अवसरे गंडीव - विहत्थें
ताम दिवायरु अत्यमिउ
गलिय- सयं भूसण-सय ई
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कह-त्रि कहवि तणु-ताणु ण ताडिउ रिउ ओसारिउ विक्कम सारे सीह-पोउ णं मत्त-गईदेहि णिय-सुउ उब्वेदाविउ पत्थें ॥ ८
धता
णाई वे-वि चिरहो परियत्तई । णवर मिहुणइं णिसुढिय-गत्तई ॥ ९
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इय रिट्ठणेमिचरिए धवलइयासिय सयंमूव कए उनतालीसमो इमो सग्गो ॥
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