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________________ उणतालीसमो संधि सारहि-रहिय-महारह-चक्कई धणु-गुण-कवय-सीस-सीसक्कई चामर-चिंध-महाधय-छत्तई महियले पुजीकियई समत्तई घत्ता भीम-जमहो जेवंताहो अच्छउ गय-घड-सालणउ कवण धरिणि विण्णाणु पउंजइ । सेण्णु-वि एक्कु-वि कवलु ण पुज्जइ ।। २ [१७] तो-वि कलिंगाहिवेण सुधीमहो लाइय थरहर त सर भीमहो तेहिं ण पीडिउ पंडुहे णंदणु ताव विसोए पाविउ संदणु तहि वलग्गु. तब-तणय-सहोयरु पुणु-वि कलिंगे विगु विओयरु णवहिं सिलीमुहेहिं कलधोएहिं आयस-फलेहिं महासिल-धोएहिं कोति-सुएण सत्त सर पेसिय तेहिं रहंग-अक्स्व णीसेसिय सच्च-सुसव्वएत्र विहिं पवरेहिं पाडिउ केउमंतु विहिं अवरेहिं विहिं कलिंगु कह-कह व ण धाइउ किंकर-णियरु अवरु उद्धाइउ तेहिं महावलु लयउ अखत्ते तेण-वि ते हय समरासत्तें ४ धत्ता भीमें भीम-परक्कमेण रहियहं सत्त-सयईणिट्ठवियइ । मत्त-गय दहं दस-सयई पेयाहिव-पट्टणु पट्टवियई॥ [१८] जाम भीमु रणु रुडेहिं अचइ ताम पत्त घट्टणु सच्चई तिण्णि-वि ते अग्गि-सम-देहा तिण्णि-वि कलि-कयंत-जम-जेहा तिण्णि-वि भिडिय गंपि गंगेयहो पलय-दिवायर-दूसह-तेयहो तिण्णि तिणि सर तिहि-मि विसज्जिय तेण-वि तिहि तिहिं णव-वि परज्जिय ४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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