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रिट्ठणेमिचरिउ
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अवर चउद्दह तोमर पेसिय ते-वि खणंतरेण णीसेसिय भग्गु कलिंगु महा-गय-साहणु भाणुवंतु पर थक्कु स-वाहणु
धत्ता तेण पचोइउ मत्त-गउ भमरि-भमर-झंकार-सुहावहु । घाइड भीमहो संमुहउ सरक-करे-रिउ(?) णं अइरावउ ।। ९
[१५] तो थिर-थोर-पलंव-भुयग्गलु चम्म-रयण-परिपिहिय-उरत्थलु मंडलग्ग-मंडिय-दाहिण-कर घाइउ भीमसेणु जहि गयवरु तहो अणवरय-पल्लोट्ट-मयंधहो चडेवि विसाण-जुयले गउ खंघहो विण्णि-वि विविहाहरण-समुज्जल विण्णि-वि परिभमंत-तडि-चंचल विण्णि-वि एक्कहो हत्थहो उप्परि विण्णि-वि कमु मुवंति जिह केसरि विण्णि-वि धाय धिवति परोप्परु विहि-मि णिणाए वहिरिउ अंबरु वे-वि सियारुण-फरेहि अलंकिय उअयत्थइरि व ससि-सूरंकिय लद्धावसरे वग-संहरणे दिण्णु घाउ णह-लंधण-करणे
धत्ता छिण्णु खधु खघेण सहुँ णिवडिउ सिरु सिर-वहणिहिं छूढउं । भिडिउ विओयरु गय-घडहं पडिउ कवंधु कवंधारूढउ ।।
[१६] दुज्जय-जाउहाण-जम-गोयरु हत्थि-हडह ओवडिउ विओयरु चलइ वलइ उल्ललइ णिसुभइ धावइ भमइ भमाडेवि रुंभइ सो ण गइंदु जो ण दोहाइउ सो गारोहु जो ण विणिवाइड तं ण विसाणु जं ण महि पाविउ तं ण कुभु जं दलेवि ण दाविउ सो ण हत्थु जो समरे ण खंडिउ सो ण पाउ जं लुणेवि ण छंडिङ सो ण तुरंगमु जो ण वियारिउ सो ण णरिंदु जो ण वइसारउ
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