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________________ उनतालीसमो संधि तेत्थु काले कुरुणाहें जोइउ वेटिड एक अणेय -गईदेहि मल्हण - सीलिय मय - विहल रणमुहे भीमहो संमुहिय धाइय दस सहास मायंगहं गरुय-महागिरिवर-संकासहं रक्खस- चरियह जलणिहि गायह काय - कंति - कसणीकिय-गयणह सिहरि - सिहर - सणिह - कुंभयरह तहि - मि मत्त मायंगेहि भइ पुणु-वि कलिंग-गाहु हक्कारिउ आएहिं महु उ हासउ दिज्जइ एक्कमेवक कोक्कंत रणे स धणुस - संदणु सामरिसु तेण भिड़ंतें सरेहि वियारिय छिण्णु महा-घउ पाडिउ घणुधरु घाइउ झंप देवि अत्रणीयले स उ स सारहि चूरिउ संदणु तो सयमेत्र णराहिउ सर पण्णारह मुक्क Jain Education International कुद्धउ पयंत् स गयवंरेहिं कलिगु पचोइउ णं दिवसयरु महा-घण-विदेहि घत्ता दुरुदुल्लिय णं किंचि विहावइ । गय-घड ढुक्क विलासिणि णावइ ।। ९ [१३] आसीविस-विसहर त्रिसमंगहं पवल-वलाहय - लील- पगासहं दंत-दित्ति-घवलिय-दिव्मोयह क्रूर - गहाणण-दारुण-त्रयणह मय- सरि-सोत्त- सित्त-गंडयलह सो-वि मइंदु जेम पत्रियभइ थाहि थाहि कहिँ जाहि अमारिउ कुविउ भीमु किं गएहिं घरिज्जइ ६७ घत्ता वे वि भिड़ंत भिडंणि ण जावेहि । सक्कदेउ थिउ अंतरे तावेहि || [१४] भीमहो तणा तुरंगम मारिय तो सहसत्ति पलित्त विओयरु भामेत्रि भीम गयासणि करयले णिउ जम- पहेण कलिंगहो णंदणु णं केसरि गय-गंध- पलुद्धउ छिण्ण विओयरेण असि पत्ते For Private & Personal Use Only મે ४ www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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