________________
रिट्टणेमिचरिउ विहि-मि परोप्परु वणियई अंगई विहि-मि परोप्परु हयई रहंगई विहि-मि परोप्परु छिण्णई चिंघई विहि-मि अणेयई कवयई विदई
घत्ता विहि-मि कोंति-गंगासुयहं दिट्ठि-मुट्ठि-संधाणु ण थक्कइ । एक-वि पउ-वि ण ओसरइ एक्कु-वि एक्कु जिणेवि ण सक्कइ ॥ १०
[११] विण्णि-वि हय-तुरंग हय-संदण संतण-पंडु-णराहिव-गंदण एवं करंति महाहउ जावेहि भिडिय दोण-धद्वजण ताहिं धय-धुरि आसत्थामहो वप्पे पाडिय एक्कक्केण खुरुप्पे वाह चयारि-वि वाण-चउक्के धट्ठज्जुणेण जमेण व दुक्के णव-वि विसिह किवि-कंतहो पेसिय तेण-वि गिरवसेस णीसेसिय मारणत्थु पुणु मुक्कु अणंतर दुमय-सुएण करेवि सय-सक्करु चित्त सत्ति पुणु घणे णं विज्जुल तइल(?) घोय-कलधोय-समुज्जल स-वि दोहाइय छिण्णु सरासणु साहि पाडिउ चूरिउ संदणु
धत्ता लइय लउडि धट्ठज्जुणेण धत्तिय दोणायरियहो उप्परि । तेण-वि वंचिय असइ जिह णिवउिय दो-दलिकरेवि वसुंधरि ॥ ९
[१२] जमल-णिवाणिट्ठिय-तोणे वंचिउ लउडि-दंड जं ढोणे दुमय-सुएण लयउ वसुणंदउ चल-चामरु चामीयर-दंडउ खग्ग-लट्ठि किय दाहिण-करयले स-ससि स-विज्जु मेहु णं णहयले धाइउ थाहि थाहि पमणतउ असिवरेण सरवर वारंतउ तहिं अवसरे हिडिव-जमगोयर - अंतरे थिउ धणु-हत्थु विओयरु णिय-रहे णिमिउ धणंजय(?)-सालउ सत्तिहिं सरेहिं विद्ध किवि-पालट
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org