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________________ उणतालिसमो संधि घत्ता एम घरेवि ण सक्कियई वलई वे-वि रय-रक्खसेण रण-रस-वसई परोप्परु मिलियई। एक्कु-जे कवलु करेवि णं गिलियई। ९ रउ परिवढिउ लागु णहंगणे णासिउ चक्खु-पसरु-समरं गणे भड पडंति रह-चक्केहि चप्पिय रह फुटति गइंद-झडप्पिय गय वइसरिय किवाणेहिं खंडिय वसुमइ एम सरीरेहिं मंडिय तहि-मि रयंधयारे रहसुन्भड धवघवसंत हणंति महामट. ४ सिरई पडति णडंति कवंधई रुहिरई परियलंति जहिं रंघई थामे थामे ओगल्लई छत्तई पुजीकयई महागय-गत्तई थामे थामे महि कर-चरणंचिय थामे थामे वेयाल णच्चिय थामे थामे भल्लुय-फेक्कारई दुज्जउ अज्जुणु णाई णिवारइ ८ धत्ता थामे थामे भीसावणिय दुत्तर रत्त-रंगिणि धावइ । विण्णि-वि वलई गिलंतरण काले जीह ललाविय णावइ ॥ ९ [६] तहिं अनसरे पर-पवर-पुरंजउ स-सरु स-रहवर स-धणु घणंजउ दिट्ठि-मुट्ठि-संधाणु ण दावइ कुरुवह पलय-कालु णं आवइ रणे फेडतु असेसई वूहई णं पंचाणणु वारण-जूहई केण-वि घरेवि ण सक्किउ एंतउ खय-दिणणाहु डाहु णं दितउ ४ काह-मि खुडइ खुरुप्पेहिं सीसई मउड-पट्ट-मणि-कुंडल-मीसई काह-मि वच्छ दंत सर पेसइ काह-मि हय-गय-रह णीसेसई काह-मि करइ काय सय-खंडइ काह-मि हणइ छत्त-धय-दंडई काह-मि हणइ सरासण-जाणइं काह-मि सीसक्कई तणु-ताण ८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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