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________________ उनतालीसमो संधि बहु पहु घट्टज्जुणहो वइत्रस-वयगुच्चरियई छ । पंडत्रकुरुव-वलई अब्भिट्टई ॥ ? दिवसए दुइज्जए सरहसई पुच्छिउ सेणिएण परमेसरु वीर ale दिवसे अक्खु जं होस उत्तर- सेय वे वि विणिवाइय गय जरसंघहो पासु स- संदण अरुणु पयट्टु ताम अत्थवणहो वइयरु सुविस- दुक्खउ रोवइ लिणि-व हिम- दवेण संताविय अहो णारायण पंडव - पक्खिय भणइ जणद्दणु माए सुणि अमरेहि-भि परिरक्खियहो [?] एवं देव गउ पहिलउ वासरु तं णिसुणेवि महा-रिसि घोसइ कुरु रण-रहसे कहि-मि ण माइय पहु णिट्ठविय सुजेट्टा-णंदण पंडव दुम्मण गय णिय-भवणहो घरिणि विराडहो अप्पर सोयइ हा हय विहि महु पुत्त ण दाविय पइ - मि कुमार मरंत ण रक्खिय घत्ता एम-वि कलणु रुवंति ण थक्कइ अहो तव तणय पइ-मिण गवेसिय अहो अहो भीमसेण अहो अज्जुण अहो विराड अहो दुमय-णराहिव अहो जमलहो कउरव-कुल- कालहो सोहि मिलिय ण रक्खिउ उत्तरु पणइ धम्म-पुत्तु तर्हि अवसरे जइ मई यत्ति ण किय जम- सासणे Jain Education International [२] ८ जाव जीवहो ढुक्कइ मरणउं । तावेहि को विगाहि तहो सरणउं ॥ ९ अणुपरिवाडिए णरवइ तक्कइ पुत्त महारा केत्त हे पेसिय अहो सच्चइ सिहंडि घट्टज्जुण अहो अहो कासिराय अहो चेइव ४ अहो अहिवण्णु घुडुक्कय-वाल्हो केण वि काइ-मि दिष्णु ण उत्तरु सल्लहो सत्तारहमए वासरे तो पइसरमि णिरुत्तु हुवासणे For Private & Personal Use Only ८ www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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