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रिटणेमिचरिउ
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दुवई तेण-वि तहो महारहो गिरि-सम-पहो खंडिओ सरेहिं ।
सुअ-सिहि-कंक-पक्खेहिं अणेय-लक्खेहिं अहि-भयंकरहिं ॥ विण्णि-वि वि-रह परिट्ठिय चरणेहिं वावर ति विज्जाहर-करणेहिं गयण-समप्पहेहिं णित्तिसेहि
आरणेहिं चल-चामर-मीसेहि विहि-मज्झे ठिय वढिय-मलहर तडि-ससि-अंतराले णं जलहर ४ घाय दिति वहु-विह विण्णासेहि अग्गर पच्छए उप्परि पासेहिं वइरिहे जायव-सेणाधीसें
पाडिय वे-वि वाहु सहुं सीसे अण्णेहिं सभुय खग्ग वल्लरि-गय भीम भुअंग-जीह णं णिग्गय अण्णेहिं स-फरु वामु भुउ पडिउ णाई सकमलु णालु णिव्वडियउ ८ अण्णेहिं सिरु उच्छलिउ स-कुंडलु णं सरइंदु महा-धण-मंडलु
धत्ता रुडेहिं अण्णेहि महि मंडिय चउहु-मि खंडेहिं । तूरई दिण्णई जायवेहिं सई भुव-दंडेहिं ॥ १०
इय रिट्ठणेमिचरिए धवलइयासिय-सयंभुएव-कए ।
सत्ततीसमो इमो परिसंधि समत्तो ॥
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