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________________ सत्ततीसमो संधि जिम मई पिहिवि दिण्ण जरसिंघहो जिम पई देवइ-सुयहो मयंधहो विष्णि-वि करहो अज्जु एक्कंतर मुए मुए सरवर-बरिसु णिरंतर पभणइ अण्णाविट्ठि अणाउलु तुहुँ रोहिणिहे भाइ वल-माउलु रुहिरहो पुत्तु सालु वसुएवहो समर-सएहि वढिय-अवलेबहो रेवइ-जणणु भणेवि मुहु वंकमि णं तो कवणु जासु आसंकमि धत्ता सउरि मुएप्पिणु पई पेसणु किउ जरसंघहो । जिह तालप्फलु सिरु जासु खुडेवउ खंघहो ।। [१४] १० तो अमरिस-सणाहेणं हेमणाहेणं सत्तवीस वाणा । सेणावइहे पेसिया खर-सिला-सिया सविस-फणि-समाणा ॥ तो तहिं अण्णाविट्ठि कुमारे सीहेण-वि वण-विक्कम-सारें धरणिधरेण धराधर-धीरे मयरहरेण-व अइ-गंभीरें दिवसयरेण-व दूसह-तेएं छिण्णई ते सर सरेहिं सइवेएं ४ रुहिरहो णंदणेण पडिवारा सत्तरि सरह विमुक्क खय-कारा ते-वि तिक्ख-णाराएहिं णिज्जिय मुहिरंगरुहें णवइ विसज्जिय वाण-सएण छिण्ण जउ-वीरें दस सय अवर करे किय धीरें तेहिं असेसु दियंतर छाइउ सलह-वंदु जिह कहि-मि ण माइउ ८ रोहिणि-भायरेण धउ पाडिउ वइरिहे णाई मडप्फरु साडिउ घत्ता जायव-वीरेण हरि रहु सारहि सण्णाहु छत्तु घउ घणुहरु । सत्त-वि कियाई सय-सक्कर ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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