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रिट्ठणेमिचरिउ
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एक्कु विणासु अवरु वय-खंडणु तुम्हह पुणु दुच्चरिउ जे मंडणु अहो सिवदेवि-समुद्दविजय-सुय पंच-जणह मिहे पढमेल्लय दिढरह-सुअ-महरिट्ठ-पयाइहि मिणाह-गहणुत्तर-भाइहिं चक्कणेमि तुडं जे? स-विक्कमु । पहरु पहरु जइ अत्थि परक्कमु णं तो हउं धणुवेउ पदरिसमि जलहरु जिह सर-धोरणि वरिसमि
धत्ता एम भणेप्पिणु रणे रुप्पें रुप्पिम-वाणेहिं । विद्ध सिवा-सुउ परमप्पउ जिह परमाणुहिं ।।
दुवई
वंचिउ चक्कणेमिणा सिग्घ-गामिणा सो सरो विभुक्को ।
गुरुमिव धम्मवज्जिओ गउ अपुजिओ गुणि व मुक्खेण मुक्को ॥ हसिउ सिवासुउ धणु-वि ण वुज्झहि एण परक्कमेण तुहुँ जुज्झहि हउ खय-चक्कणेमि सो वुच्चमि रसमसकसमसंतु पई रुच्चमि फलु अणुहुजहि म अवराहहो अज्ज-वि पणवहि पंकय-णाहहो ४ णासिउ पाव-वुद्धि अप्पाणउ जायव-जणह मज्झे तुडं राणउ वम्भहु भाइणेउ सस रुप्पिणि भइणिवइड सउरि वहु वाहिणि तो आरुट्ठ सुउ भिप्फहो छण-पावणेहिं किविणु णं विप्पहो को किर णवइ गंद-गोवालहो । मेल्लेवि चरण पिहिवि-परिपालहो ८ एम भणेवि वीसद्धेहिं वाणेहिं विद्ध खयारुण-किरण-समाणेहि
धत्ता जायव-वीरेण ते दस-सर दसहिं विह जिय । दसहि-मि धम्मेहि ण दस-वि अघम्म परज्जिय ॥
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