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रिट्ठणेमिचरित
चाव-चक्क-गय-संस्व-धरु सल्लराय-मयरद्धयह
घत्ता गरुडद्धउ वाहिय-संदणु । थिउ अब्भंतरे ताव जणदणु ॥
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णिय-सुय-कएण अमरिसे चडिउ णारायणु सल्लहो अन्भिडिउ विज्जाहरु विज्जहिं वावरइ हरि चंदहो चरिएहिं अणुहरइ सर-जाले छाइयउ गयणयलु लक्खिज्जइ ण-वि जलु ण-वि थलु ण दिसामुहु ण-वि रवियर-णिवहु ण तुरगु ण सारहि ण-वि य रहु ४ ण सरासणु आयवत्तु ण धउ णउ णावइ केसउ केत्थु गउ उप्पण्णु कोवु दामोयरहो पच्छण्णु विसज्जिउ गोयरहो पहरणइं पहारुद्धआई
दिस-चक्कई विमलीहूआई रिउ पहरइ अवरेहिं दारुणेहिं हुआसण-वायव-वारुणेहिं
धत्ता तरु-गिरि-सिहरि-सिलायलेहि गरुडत्थ-भुअंगम-पासेहिं । सब्वई छिदेवि धरियई वाणारि वाण-सहासेहिं ॥ ९
[१८] सोहाहिउ मणे आरोसियउ णाराय-लक्खु परिपेसियउ रहु ताडिउ सारहि सल्लियउ णारायणु संसए धल्लियउ तो वण-रुहिरारुण-भुय-सिहरु णं फग्गुणे फुल्लु पलास-तरु मायाविउ वोल्लइ को-वि णरु ओलग्गइ पाणेहि कुसुमसरु ४ वसुएबहो फोडिउ वच्छयलु वलहद्दहो तोडिउ सिर-कमलु जरसंधे जायव सयल जिय कुरु-जोहेहि पंडव खयहो णिय जे अजण-गंदण रयणि गय तहिं णेमि-समुद्दविजय णिहय वारवइ लइय सल्लहो वलेण एवहिं घाएवउ तुहुँ छलेण ८
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