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तो बुच्चइ सुज्झइ तिर्हि
विज्जाहरेण
पाइकु रणे
तो तेण जिणेष्पिणु
वावरणे
छड छुडु जे सय- संदणे सण्णमिउ
अवसरे घाइउ णामेण सल्लु सल्लई महोतउ सहोयरु जेण हउ वहुवार रुट्ठ चिर-वार मई तें अप्पउ णव- रणु दक्खविउ तं णिसुणेवि हरि-णंदणु कुविउ सर समर करेष्पिणु दुव्विसहु
गयणगइ
सल्ल सल्ल-सय- सल्लियउ
जो अंग-सर- जज्जरिउ
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घत्ता
तो चेयण लहेवि विउद्भु पुणु सर - निवहें छाइउ कुसुमसरु अवरेक् उरसि कडं तरिउ विहलंघलु रहे ओणल्लियउ जुत्तारु विणासिय-पूयणहो तहि अवसरे चेयण-भाव- गउ रहु सारहि सारहि सम्मुहउ किं ण वि उ पुत्त जणदणहो
सरेवि
[१३]
लज्जिज्जइ आएहिं वयणेहिं । जय - जीवग्गह- मरणेहि ॥
रिट्टणेमिचरिउ
पणत्ति - पहावें घरिउ रणे
कियवम्महो पासु समल्लविउ सिसुपालहो भायरु सो हवइ
जाहिँ कासरू घरेवि ४ सो नंद-गोउ कहि केत्थु गउ किर मई समाणु रण-पिडु रमइ कहिँ एवहि जाहि अ - सिक्खविउ णं जुय-खए धूमकेउ उ उ साहु वियारिउ छिण्णु रहु
घत्ता
विहलंघलु पडिउ सवेयणु । सो सवु होइ निच्चे
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[१४]
वावरिउ चउग्गुणु पंच-गुणु णं जलहर-जाले दिवसयरु अत्थक्कर मुद्धए अंतरिउ णं पायउ पवण-पणोल्लियउ किउ पासु णेइ महुसूयणहो उट्ठिउ कुमारु णं जगहो खउ किं कज्जें करहि परम्मुहउ कि हरि ण वप्पु हउ णंदणहो
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