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________________ ३६ तो बुच्चइ सुज्झइ तिर्हि विज्जाहरेण पाइकु रणे तो तेण जिणेष्पिणु वावरणे छड छुडु जे सय- संदणे सण्णमिउ अवसरे घाइउ णामेण सल्लु सल्लई महोतउ सहोयरु जेण हउ वहुवार रुट्ठ चिर-वार मई तें अप्पउ णव- रणु दक्खविउ तं णिसुणेवि हरि-णंदणु कुविउ सर समर करेष्पिणु दुव्विसहु गयणगइ सल्ल सल्ल-सय- सल्लियउ जो अंग-सर- जज्जरिउ Jain Education International घत्ता तो चेयण लहेवि विउद्भु पुणु सर - निवहें छाइउ कुसुमसरु अवरेक् उरसि कडं तरिउ विहलंघलु रहे ओणल्लियउ जुत्तारु विणासिय-पूयणहो तहि अवसरे चेयण-भाव- गउ रहु सारहि सारहि सम्मुहउ किं ण वि उ पुत्त जणदणहो सरेवि [१३] लज्जिज्जइ आएहिं वयणेहिं । जय - जीवग्गह- मरणेहि ॥ रिट्टणेमिचरिउ पणत्ति - पहावें घरिउ रणे कियवम्महो पासु समल्लविउ सिसुपालहो भायरु सो हवइ जाहिँ कासरू घरेवि ४ सो नंद-गोउ कहि केत्थु गउ किर मई समाणु रण-पिडु रमइ कहिँ एवहि जाहि अ - सिक्खविउ णं जुय-खए धूमकेउ उ उ साहु वियारिउ छिण्णु रहु घत्ता विहलंघलु पडिउ सवेयणु । सो सवु होइ निच्चे || [१४] वावरिउ चउग्गुणु पंच-गुणु णं जलहर-जाले दिवसयरु अत्थक्कर मुद्धए अंतरिउ णं पायउ पवण-पणोल्लियउ किउ पासु णेइ महुसूयणहो उट्ठिउ कुमारु णं जगहो खउ किं कज्जें करहि परम्मुहउ कि हरि ण वप्पु हउ णंदणहो For Private & Personal Use Only १० ८ १० www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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