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________________ छत्तीसमो संधि १० धत्ता विसम महा-सिल दुव्विसह तहो उप्परि वित्त विविंझहो। पडिय तडत्ति तडक्क जिह फोडंति खयालई विझहो । [११] जं रणे विविझु विणिवाइयउ तं सरहसु अवरु पधाइयउ णामेण कालसंवरु स्वयरु जो मुंजए मेहकूड-णयरु जसु कणयमाल णामेण पिय दक्खविय जाए विवरीय किय पण्णत्ति समप्पिय वम्महहो उप्पाइउ कारणु विग्गहहो कंदप्प-कालसंवर भिडिय णं सीह परोप्पर ओवडिय रुप्पिणिहे मणोरह-गारएण विणिवारिय विण्णि-वि णारएण जरसिंघहो सो पाइक्कु थिउ लल्लक्क-महाहउ तेण किउ रणे चारुजे? हक्कारियउ वलु वलु कहिं जाहि अ-मारियउ धत्ता जाम्ब भिडंति भिडंति ण-वि तहि अवसरे जयसिरि-संगेण । जय जय ताय भणंतएण रहु अंतरे दिण्णु अणंगेण ॥ [१२] तुहुं पढमु वप्पु पुणु महुमहणु कहो सीसइ जाणइ सयलु जणु पहिलारी कणयमाल जणणि पुणु पच्छइ रुप्पिणि पिय-भणणि पई होते हउं तियसहं अजउ पई होते सोलह लंभ गउ पई होंते सुरह-मि पुज्जियउ पइं होतें तुहु-मि परज्जियउ . पई होते कुरुवहै मलण किय पई होते. पंडव पंच जिय पई होते. पुणु वारवइ गउ णारायणु कह-वि ण सरेहिं हर पई होंते जणणिहे जणिय दिहि सरु सेज्जहिं मेल्लेवि कोव-सिहि म म पहरु महाहउ परिहरहि अम्हारए साहणे पइसरहि गुणवंतहं सत्तहै महमहहि । ९ ४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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