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________________ W रिट्ठणेमिचरिउ धत्ता मयगल-मय-मसि-मइलियउ हय-लाला कद्दम-लित्तउ । रय-रक्खसु राहिं मिलेवि णं सोणिय-वाहिणिहे चित्तउ ॥ ९ रए पसमिए पसरिए रुहिर-जले एक्केण-वि हूयए धरणियले पहरण-णिवाय-अइसंधिएहिं मगहाहिव-अग्गिम-खंधिएहि पडिपेल्लिउ जायव-जोह-बलु णं खय-मारुवेहि समुद्द-जलु गलियाउहु विमुहु भयावरिउ गोविंदहो सरणु पईसरिउ मा भज्जहो मा-मी-कारु किउ जंववइहे गंदणु संवु थिउ णिय-खंधु समोड्डेवि रण-भरहो मुहे खेमविधि-विज्जाहरहो उत्थरिय परोप्पर सरेहि रणे पेक्खंति सुरासुर थिय गयणे हरि-णंदणु जह जह वावरइ तिह तिह रिउ पउ पउ ओसरइ ८ धत्ता छिण्णु महद्धउ भग्गु रहु हय हय वर-सारहि घाइयउ । पाण लएप्पिणु कहि-मि गउ कह-कह-वि ण जम-पहे लाइयउ ॥ ९ [१०] जं खेमविद्धि ओसारियउ सर-जज्जर कह-व मारियउ तं वेगवंतु संवहो भिडिउ णं गयहो गइंदु समावडिउ णं पंचाणणु पंचाणणहोणं घणु उत्थरिउ महा-घणहो तो हरि-सुरण हरि-कुलिस-सम दुव्वार-वइरि-पडिपहर-खम · मणि-रयण-विहूसिय कणयमइ पट्टविय गयासणि वेगवइ धारण जे मासहो पुजु किउ सवडंमुहु ताम्व विविझु थिउ जरसंघहो कि करु दुबिसहु धणु-करयल वाहिय-पवर-रहु एत्तहे-वि कंस-विणिवायणहो अवरेक्कु पुत्त णारायणहो समरगणे चारजे? वलिउ जिाहरु तेण पडिक्खलिउ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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