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________________ पणतीसमो संधि धत्ता देव दुलंघउ वइरि-बलु तिह करि जिह रणउहे आवट्टइ । साम-भेय-दाणई गयई एवहिं खम्गहों अवसरू बइ ।। [१३] मेलावेवि हय-गय-णरवरोह . हक्कारा जंतु अणंत जोह सह सत्तें एंतु सामंत सब सरसक्ख-सरणु व सुरवर व्व कंभीर-कुसीणर-कामरूव खरकेस-तुरंगम-रोमकूव एक्कत्रय-कण्णपावरण-जट्ट खंधार-कीर-खस-टक्क-भोट्ट जालंधर-सिंधव-मद्द-वच्छ मंगाल-गउड-गुज्जर-सकच्छ कोसल-कलिंग-मालव-कुडुक्क तोक्खार-तिउर-ताइय-तुरुक्क गोदंड-पउंड-वियम्भराय . काविट्ठिय-कुरु-कोहल-किराय वग्धाणण-गयमुह-सुप्पकण्ण । उद्धसिय-रोम-थद्ध-कण्ण मरु-माहुर-जाउण-उझिहाण अउद्वर-पल्लव-वच्छमाण भद्दारि-मेय-मद्दव-वसल्ल पंडुक्कल-मेहल-पउम-मल्ल धत्ता आय-वि अवर-वि पवर-भड तुह किंकर-तुहिणाहयउ मेलावेप्पिणु देहि पयाणउं । पर-वल-कमल होउ विदाणउं ॥ ११ ते णिसुणेवि महि-परमेसरेण तुम्ह-वि हक्कारउ कुरुवराय सह-मंडव विरइय गामे गामे संकंदण-संदण-सच्छहाह 13.1b ज. अणेय जोह. मेलाविउ वलु संवच्छरेण ... हउं आयउ अक्खमि वहु-पसाय पक्खण्णई सलिलई थामे थामे सउ सउ सोवण्ण-महारहाहं 2a. सहसत्ति. 9a. महुरणिवासिय. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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