SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 34
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पणतीसमो संधि धत्ता जल-दुग्गंतरे पइसरेवि जं अवहेरि करेविणु अच्छहो । जासु पसाएं एह सिय कि चक्कवइ-वयणु ण णियच्छहो ॥ ९ ८ अवहेरि करेवए कवणु कालु जिह तुम्हई तिह सो सामिसालु सुमरइ समुद्दविज यप्पियाई ओलग्गिय-धाविय-जंपियाई सुमरइ वसुएवहो तणिय लील सुमरइ णारायण वाल-कील किं रज्जे जण्ण णियंतओय(?) जायव-कुल-द्वय-विट्ठि-भोय कि रज्जे जाह हरि-वल ण वे-वि पइसंति महा भवणु एवि किं रज्जे जहिं रिउ-गंध-हस्थि पज्जुण्णु संवु अणिरुद्ध णत्थि सिणि-णंदणु पभणइ कोव-पुण्णु हरि मुरवि कवणु चक्कवइ अण्णु जसु दिण्ण थत्ति रयणायरेण किउ पुरवरु अमरेहिं आयरेण घत्ता एक्कु चक्कु णारायणहो ... सोहइ जेण जियइं पर-चक्कई । अवरई लोयह सावणइं(?) भग्गव-चक्क-सयई करे थक्कई ॥ [१०] तं हुयवहु जिह पज्जलिउ दूउ चक्कवइ-चक्कु तिहुयणेण दिडु ___ जसु भइयए तुहु सायरे पइट्ट जसु भइयए जायत्र-मिग वराय णिय जम्म-भूमि परिहरेवि आय इत्थु वि णिवसंतहं पलय-कालु . दक्खवइ महारउ सामिसालु मीणउलई भक्खेवि पिएवि मज्जु आरोडहि सुत्तउ सीहु अज्जु णव-कोडिउ जासु तुरंगमाहं मण-पवण-गरुड-जव-जंगमाह सामेक्क-कण्ण-चंदप्पहाहं वावीस-वीस-लक्खई रहाई गय तेत्तिय खत्तिय पुणु अणेय णिव णिय-णिय-सेण्णेहि अप्पमेय ९ ८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy