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________________ २४ जिह लंकाहिउ लक्खणहो वर करेणु जिह केसरिहे णिय-मंति-त्रयण-दुप्पवण-छित्तु मरु मारमि मारण- पयहो ढुक्कु ते णंद-गोत्र केत्तडिय ऋत्थु पेसिउ सुमित्त णामेण दूउ ay जाय-संहो मलेवि थाहो कुल- कोडिहि ढुक्कु त्रिणास-कालु यमेव पयाणु - विदिष्णु आउ मग गणु सांगु अण्णु णाय - सेज्ज पण्णत्ति मणि जेंव अब्भि- हि समर- मुहे हयवरहं सहासें दुज्जएण गउ दूउ पराइउ तुरिउ तेथु तवणिज्ज - पुज - पिंजरिय-देह परिहा-पओलि - पायार-सार वणि-वीहि - विसिय णिरवसेस पइसरिउ तित्थु आवास-मुक्कु पडिवत्ति जंहारुह किय कमेण परमेसरु तुम्हहुं साणुराउ 8.8 a. 1. faffa8s. Jain Education International धत्ता जिह हयगीउ तिट्ठि गरिंदहो । तिह तुज्झु देव गोविंदहो || [७] मगहा हिउ हुयवहु जिह पलित्तु किर मंति भणेवि एत्तडेण चुक्कु जइ रूसमि तो तिअस ं समत्थु जो सयल-कला- -कुल- करण-भूउ जिंव जीविउ लेपिणु कहि-मि जाहो परिकुविउ वसुंधर- सामिसालु सायर - पमाण - साहण-सहाउ दारावर रुप्पिणि पंचयण्णु रिट्ठणे मिचरिउ घा जेव नाग्गयई असेसई दिज्जहि । विहि नारायण एक्कु करेज्जहि ॥ [८] गवर तहद्वे रह-सएण दारावर सुर- णिम्मत्रिय जेन्धु मणि - रयण - किरण - विष्फुरिय-गेह उत्तंग-तोरणग्धविय-वार सइ जिह पर- पुरिसहं दुप्पवेस जहिं महुमहु तं अत्थाणु ढुक्कु वोल्लिज्जइ अखलिय - विक्कमेण एतडउ णवर गरुयउ विसाउ For Private & Personal Use Only ४ ८ ४ ८ www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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