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तं एवड्ड दुक्खु को पेक्खइ परम धुरंघरु होज्जहि रजहो णमि - मिहिं णवकारु करेष्पिणु जाउ महारिसि विंझे पट्ठउ
सणास - विि
इच्छिय-सुहाई
रिट्ठणेमिचरिउ
मणु महु तणउं तवोवण कंखड हउं पुणु जामि थामि णिय - कज्जहो णिय - सिरे मुट्ठिउ पंच भरेष्पिणु किउ तउ जो पुरुएवें दिट्ठउ
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धत्ता
कहि-मि दिवसेहि कालु किउ । सग्गे सई भुजंतु थिउ ||
इय रिट्ठमिचरिए धवलइयासिय सयंभुव - कए चउतीसमो सग्गो || ३४ ॥
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