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चउतीसमो संघि
पुणु छट्ठ पमत्त-थाणतरु खवग-सेढि पुणु सत्तम-ठाणेहिं तेत्थु अपुष्व-करणु पहिलारउं मुहम मोहु उवसंत-कसायउं पुणु स-जोइ सयलामल-केवलु
अपमत्त सत्तमउं अणंतर आरुहिएवी गुण-सोवाणेहि पुणु अणिवित्ति-थाणु सुह-गारउं खीण-कसाउ अवरु विक्स्खायउं ८
सव्वोवरि अ-जोइ पर णिक्कलु धत्ता चडइ जीउ उप्परि-मुहउं । घरु घर-सिहरहो सम्मुहउं ॥ १०
सुह-कम्म-वसेण जिह थवइ थवंतु
तो दुव्वयणासीविस-सप्पे वुत्तु विउरु दुज्जोहण-ब जाणमि जिह परयारु ण रम्मइ जाणमि जिह पहु णरयहो गम्मइ जाणमि जिह दय-धम्मु विढप्पइ जाणमि जिह जम-करणु झडप्पद जाणमि परम-मोक्खु जिह णाणे सग्गु तवेण भोगु वर-दाणे जाणमि जेम पाउ पारंभइ जाणमि सव्वु जेम जं लभइ जाणमि जीउ जेम उप्पज्जइ जाणमि जिह सरीरु विप्पज्जइ जाणमि जेम वहइ दुगंधई रस-बस-सोणिय-मंस-समिच्छई जाणमि जिह वाहिहिं आढप्पइ जाणमि जिह गुण-थाणु विढप्पड़
घत्ता जाणणहं ण जंति विसमई चित्तई कउरवहौं । अच्छउ महि-अद्धु एक्कु-त्रि गामु ण पंडवह ।।
[१८] पभणइ विउरु विउरु कुरु णिग्गुण दुजय होंति वे-वि भीमज्जुण जेहिं गियत्तिय विण्णि-वि गोग्गह जाह गया-गंडीव परिगह तेहिं समाणु कवणु समरं गणु णच्छइ अभिडंतु दुज्जोहणु धुउ मरिएवउ कउरव-लोएं पइ कंदेवउ वढिय-सोएं
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