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रिटणेमिचरिउ
एय अणेय रोय सुह-उझिय अवरह केण संस पुणु वुझिय वाहिहिं कह-व कह-व जइ चुक्कइ मरणु अगेय-पयारेहि ढुक्कइ
धत्ता तडि-जलण-जलाई जुवइ-जीह-कर-पहरणइं । चोरारि-विसाई आयई मरणहो कारणइं ॥
[१५]
तो-वि जीउ जीवेवउ वंछइ मंड-मंड दालिद दम्मइ मंड-मंड पेल्लिज्जइ पावें। कोह-दवग्गि जासु संवज्झइ जम्म-वेल्लि जो डहेवि सक्कइ तिहुवण-वामरि जो वसियउ जो संसारु मुरवि ण णासइ उवसम-सेढि चडेवि णियत्तइ
जाइ-जरा-मरणई ण णियच्छई जिह कल्होडु भरेण णिहम्मइ मच्छु जेम जल-जाण-सहावें सो णर-तरु सव्वंगिउ डझइ सो चउ-गइहिं भमंतु ण थक्कइ काल-भुयंगमेण सो डसियउ तहो जम-काउ करोडिहिं वासइ पहिलारए गुण-ठाणे पवत्तइ
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घत्ता
दुक्कम्म-वसेण . जाइ जीउ हेट्ठा-मुहउ । जह कूव-खणेरु सलिलुप्पत्तिहे सम्मुहउ ।
[१६] परि त कम्मु णराहित्र किज्जइ जेण परम-गुण-ठाणे चडिज्जइ तहिं परमागमे छट्ठ-पयारउ मिच्छाइट्ठि तेत्थु पहिलारउ सासण-सम्माइट्टि दुइज्जङ
सम्मा-मिच्छाइट्ठि तइज्ज अवरउं सम्माइट्ठि चउत्थउं पंचमु विरयाविरउ णिउत्तउं
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- 15.3 ज. जलनालपहावे.
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