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________________ सठिमो संधि छाइउ दप्प-हरण-पहरणेहि एककल्लउ विंधइ सबसाइ सर-सप्पेहिं खावइ पर-वलाई गय-गिरिहिं सपदह-सय-दलाई रहवरहं पलोट्टइ चिंध खंभ णव-पाउसे रवि-व महा-घणेहि लक्खिज्जइ लक्खह लक्खु णाई रिउ-ताडहं तोडई सिर-फलाई फोडइ कुंभयल-सिलायलाई पाडइ बहु जय-सिरि-कण्ण-लभ घत्ता स-धणु धणंजउ सर-संधाणु ण दोसइ । दउमरिसण-बलु णवर पडतउ दीसइ । १० [६] (हेला) आयस-तोमराहया णिग्गया गइंदा । तिक्ख-खुरुष्प-कप्पिया कंपिया गरिंदा ।। हय रह रहंग पाडिय तुरंग सुहडहं दु-खंड किय वाहु-दंड खुडियई सिराई कडु-भासिराई छिण्णइ धयाई वसुमइ गयाइ पर-वलु खयत्थु चिंतइ खयथु कहि तणउं अज्जु किर सामि-कन्जु पाणह-मि इछु ण कलत्तु दिछु सिरु गयउ तो-वि जाणइ ण को-वि कहि तणउ पत्थु आइउ अणत्थु णासणहं लग्गु परिगलिय-खग्गु चितंति के-वि रण-दिक्ख लेवि लइ जाहु केत्यु सव्वह-मि पत्थु पहरणेहिं पत्थु वाहणेहिं पत्थु १२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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